गजल
प्रितक बगियामे फुल खिलैएलौं
मोनमे सुन्दर सपना सजैएलौं
प्रेमक प्रतिविम्ब पैर पंख लगा
क्षितिजमें शीशमहल बनैएलौं
पंख टूईटगेल हमर क्षणमे
दर्द ब्यथा सं हम छटपटैएलौं
सपना चकनाचूर होईत देख
भाव विह्वल चीतकार कैएलौं
कोमल फुल नै भS सकल अप्पन
कांटमें प्रेमक अंकुरण कैएलौं
कहियो तेह प्रेमक कोढ़ी खीलत
कांटक चुभन हम सहैत गेलौं
...............वर्ण१३ .....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
प्रितक बगियामे फुल खिलैएलौं
मोनमे सुन्दर सपना सजैएलौं
प्रेमक प्रतिविम्ब पैर पंख लगा
क्षितिजमें शीशमहल बनैएलौं
पंख टूईटगेल हमर क्षणमे
दर्द ब्यथा सं हम छटपटैएलौं
सपना चकनाचूर होईत देख
भाव विह्वल चीतकार कैएलौं
कोमल फुल नै भS सकल अप्पन
कांटमें प्रेमक अंकुरण कैएलौं
कहियो तेह प्रेमक कोढ़ी खीलत
कांटक चुभन हम सहैत गेलौं
...............वर्ण१३ .....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
1 टिप्पणी:
आंचलिक ग़ज़ल को और भी स्वीकार्य बनाने के लिए कृपया हिंदी भावार्थ भी दीजिएगा .शुक्रिया .विधा अच्छी है .
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