dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

गजल


सदिखन स्वार्थक चिन्तन करैत रहै ए मोन हमर।
इ गप नै बूझि जाइ कियो, डरैत रहै ए मोन हमर।

अपन खेतक हरियरी बचा केँ रखबाक जोगार मे,
आनक जरल खरिहानो चरैत रहै ए मोन हमर।

विचार अपन गाडने दोसरक छाती पर खाम जकाँ,
इ खाम उखडबाक डरे ठरैत रहै ए मोन हमर।

हृदयक भाव अछि तरंगहीन पोखरिक पानि भेल,
गन्हाईत जमल भाव सँ सडैत रहै ए मोन हमर।

अन्तर्विरोधक द्वन्द्व युद्ध मे बाझल अछि "ओम"क मोन,
अपना केँ जीयेबाक लेल मरैत रहै ए मोन हमर।
------------------- वर्ण २१ -------------------

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