dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                गजल
अप्पन वितल हाल चिठ्ठीमें लिखैतछी
मोनक बात सभटा अहिं सँ कहैतछी  
 
मोन ने लगैय हमर अहाँ बिनु धनी
कहू सजनी अहाँ कोना कोना रहैतछी
 
अहाँक रूप रंग बिसरल ने जैइए
अहिं सजनी सैद्खन मोन पडैतछी
 
गाबैए जखन जखन मलहार प्रेमी
मोनक उमंग देहक तरंग सहैतछी
 
अप्पन ब्यथा वेदना हम ककरा कहू
अपने उप्पर दमन हम करैतछी
 
जुवानी वितल घरक सृंगारमें धनी 
हमरा बिनु अहाँ कोना सृंगार करैतछी
 
जीवनक रंगमहल  वेरंग भेल अछि  
ब्यर्थ अटारी में रंग रोगन करैतछी
 
जल बिनु जेना जेना तडपैय मछली 
अहाँ बिनु हम तडैप तडैप जिबैतछी
 
दुनियाक दौड़में "प्रभात" लिप्त भेल अछी 
अप्पन जिनगी अप्पने उज्जार करैतछी
               वर्ण:-१५
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: