|| जय कुलबोरनि माता ||
जय - जय माया, जय कुल तारनि
जय कुलबोरनि माता ।
शान्ति कुटीर करु पावन अम्बे
हे कलि पूज्य विधाता ।।
कट - कट दसन अधर पट - पट कर
टप - टप पिपनी नोरे ।
थर - थर गात अरुण दुह्ँ लोचन
बचन श्रवित इनहोरे ।।
वासर - रैन चैन नहि कहियो
नित दिन नाचथि नंगे ।
गावथि हंसथि बिलसि मुख मोदित
रुदन बिकट बहुरंगे ।।
भाग्य रेख वर पावि, तोहि निज
सोई आखर मोहि मेंटू ।
"रमण" प्रणाम प्रथम हे नागिन
भाभट अपन समेंटु ।।
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें