|| खंडित कनक जड़ित मणिमाला ||
खंडित कनक जड़ित मणिमाला ।
ओस बिन्दु पल्लव नव राजित
घाम परल तन बाला ।।
उमरल घटा चिकुर चहुँ फूजल
शशि ओझल मदमाते ।।
रंजित अधर लेपायल लोचन
श्रृंगारक संघाते ।।
पावि युगल मणि यतने जोगाओल
सोई कलि कमल मडोरल ।
चंचल चित थिर शुष्क नवल रस
उत्तेजित तन तोरल ।।
कतेक यतन वर अंग सवारल
कयल रूप सब भंगे ।
कीय मुख लाज सुहागिन सेजहि
"रमण" करु रसरंगे ।।
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
खंडित कनक जड़ित मणिमाला ।
ओस बिन्दु पल्लव नव राजित
घाम परल तन बाला ।।
उमरल घटा चिकुर चहुँ फूजल
शशि ओझल मदमाते ।।
रंजित अधर लेपायल लोचन
श्रृंगारक संघाते ।।
पावि युगल मणि यतने जोगाओल
सोई कलि कमल मडोरल ।
चंचल चित थिर शुष्क नवल रस
उत्तेजित तन तोरल ।।
कतेक यतन वर अंग सवारल
कयल रूप सब भंगे ।
कीय मुख लाज सुहागिन सेजहि
"रमण" करु रसरंगे ।।
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
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