dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

एकटा बात कहू सजनी जौं हम नै रहब तं अहाँ रहब कोना
छोड़ी चलिजाएब जौं परदेश विरह कें दुःख अहाँ सहब कोना

पल पल हर पल हम रहैत छि प्रिया अहाँक संग सदिखन
हमर रूचि सं श्रृंगार करैत छि हमरा बिनु अहाँ सजब कोना

हमरा सँ सजनी अहाँ नुका कS नहि रखने छि दिल में राज कोनो
किछु बात जे हमही जानैत छि लाज सं ककरो अहाँ कहब कोना

मधुर मिलन लेल जी तरसत पिया पिया अहाँक मोन कहत
नैना सँ अहाँक नीर बहत तडपी तडपी अहाँ सम्हरब कोना

श्रृंगार बहत नोरक धार सँ ह्रिदय तडपत विछोडक पीड़ा सँ
भूख पियास नीन सभ त्यागी कें "प्रभातक"बाट अहाँ जोहब कोना
..............वर्ण-२५......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: