dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

  गीत@प्रभात राय भट्टलग आऊ लग आऊ सजनी कने चूल्हा पजारैछि
चूल्हा में आंच लगा कS सजनी अधन खौलाबैछि
भूख अछ बड जोर लागल एखन धैर नहि भात पाकल
भूक सँ मोन छटपट करैय होइए नै कम्हरो ताकल

एना नै चूल्हा पजरत बलम धुँआधुकुर किया केनेछी
उकुस मुकुस हमर मौन करैय एना किया सतौनेछी
पजरैय नै चूल्हा अहाँ सँ , अहाँ कोना पकाएब भात यौ
झट सँ चमच नीकाली पिया दहिए चुरा पर फेरु हात यौ

दही जमा कS मटकुरी में मलाई कतS नुकौनेछी
सुखल चुरा खुआ खुआ कS हमरा बड तरसौनेछी
चुरा दहिक संग हम खाएब दरभंगिया पुआ पकवान यए
छैयल छबीला हम छि गोरी जनकपुरिया नव जवान यए

दही जमौने मटकुरी में बलम हम अहिं लेल रखनेछी
खाऊ पिया मोन भईर के आई मुह किया लटकौनेछी
खुआ मलाई खूब खाऊ चाटी चाटी चिनिक चासनी यौ
दही चुरा पर पकवान ऊपर सं चाटु पिआर के चटनी यौ

रचनाकार:- गीत@प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: