dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

गीत@प्रभात राय भट्ट



गीत-

जहिया सँ देखलौं हम हुनकर सुरतिया
ईआद आबैय ओ हमरा आधी आधी रतिया
पूर्णिमा के पूनम सन हुनकर सुरतिया
हुनके रूप सँ होएत छैक सगरो ईजोरिया

चम् चम् चमकैय छै ओ जेना अगहन के ओस
नैयन मिलल हुनका उडिगेल हमर होस
छम छम बजबैत पाएल ओ लग हमरा आएल
देख कS हुनक अधर उर्र भS गेलौं हम घाएल

मधुर बोली हुनक मादकता सं भरल जोवन
हिरन के चाल हुनक चंचल चितवन
अंग अंग सोन हुनक सूरत हिरामोती
हुनक स्पर्श सं भेटैय आन्हर के ज्योति

गाल हुनक लागैय जेना सुभ प्रभातक लाली
ठोर हुनक लगैय जेना मदिरा कें पियाली
मटैक मटैक चलनाए जेना मधुमासक पवन
सपना में आबी करै छथि ओ हमरा सं मिलन

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: