ग़ज़ल
हो सकता है बात हो तेरी या मेरे अफ़साने होंगे |
मेरी नज़रों में भी शायद कुछ शम्मा - परवाने होंगे ||
गैर अगर तुम मुझको समझो तो ये भी एक पागलपन है,
क्योंकि मेरी नज्मों में कुछ, तेरे भी नजराने होंगे ||
कहाँ ज़ुल्म है ? मेरे दिल ने, प्यार अगर माँगा तुझसे,
मुमकिन है कल एक बनें वो ,जो कल तक अनजाने होंगे ||
अगर रौशनी की हसरत है, इतना तो करना ही होगा ,
नहीं चिरागां फिर भी राहों में कुछ दीप जलाने होंगे ||
खिजां यहाँ जो कर गुजरी है, उन ज़ुल्मों का ये ही हल है,
चमन खिला कर इन राहों में, हमको फूल सजाने होंगे ||
रचनाकार - अभय दीपराज
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