!! लंका में डंका बजा दियो !!
मेंहदी पुर का है बटुआ , बटुआ में बसे है बाला जी
लंका में डंका बजा दियो , प्यारे अंजनी के लाला जी
हनुमंत लला जब जन्म लियो
अंजनी का आँगन धन्य हुआ ।
जय - जय कार हुआ भू पर
कुल केसरी का श्री मन्य हुआ ।।
कपि रुद्र एकादस बजरंगी , है तेरा रूप निराला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
हुए भट्ट महा भट्ट इस भू पर
इतना ना कोई कमाल किया ।
कोई राम भक्त ना हुआ एक
जितना अंजनी का लाल किया ।।
पवन वेग से पवन पुत्र , पिया राम नाम का प्याला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
मेंहदी पुर का है बटुआ , बटुआ में बसे है बाला जी
लंका में डंका बजा दियो , प्यारे अंजनी के लाला जी
हनुमंत लला जब जन्म लियो
अंजनी का आँगन धन्य हुआ ।
जय - जय कार हुआ भू पर
कुल केसरी का श्री मन्य हुआ ।।
कपि रुद्र एकादस बजरंगी , है तेरा रूप निराला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
हुए भट्ट महा भट्ट इस भू पर
इतना ना कोई कमाल किया ।
कोई राम भक्त ना हुआ एक
जितना अंजनी का लाल किया ।।
पवन वेग से पवन पुत्र , पिया राम नाम का प्याला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
ज्ञान पुंज , हे गुण निधान
जग में तुम एक हो महाबली ।
मंगल मूरति मारुति नंदन
हे जय-जय-जय बजरंगबली ।।
हे शंकर सुवन करूँ वन्दन , स्वर्ण सुमेरू मतबाला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
हे बज्र देह पर्वता कार
तुमसे विनती है बार - बार ।
तारा कितनो को कृपा-सिन्धु
अब मेरी भी सुनलो पुकार ।।
फहरा के धर्म - ध्वज हनुमत , अब रमण का खोलो ताला जी
मेंहदी पुर का है बटुआ ...............................
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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