पितृ दिवस कें पावन सुअवसर पर हमहुँ किछु लिखबाक प्रयास कयलौं लिय प्रस्तुत अछि ,,,,,,
।। पितृ - वन्दना ।।
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हे पितुवर माफ करब हमरा ,
हम अहींकें सरोवर के जल छी ।
हम अहींकें सरोवर कें जल छी -- 2 ,
हे जीवन दाता अहीं बगियन कें ,
फुलल फरल सुन्नर फल छी ।।
हे पितुवर माफ करब ...............।।
ई जीवन अछि ऋणि अहीं कें ,
हम कोना क बिसरबै यौ ।
अँगुरी पकड़िकें सहारा देलौं ,
कान्ह कोरा लय खेलेलौं यौ ।
हे परम पिता अहाँ मुँह नहि फेरबै ,
ई साज अहींके साजल छी ।।
हे पितुवर माफ करब ...........।।
एक माटिक पुतला कें गढिकें ,
इन्सान अहीँ बनेलौं यौ ।
आई जे कियो जानै छै जग में ,
पहिचान अहीं सँ भेलौ यौ ।
हे जीवन धन के स्वामी पुज्यवर ,
चरण कमल में लोटायल छी ।।
हे पितुवर माफ करब ..............।।
नहि आखर ग्यान ओतेक हमरा ,
हम कोना क वर्णन गान करी ।
सिर छ्त्र बनि छान्ह देबै हमरा ,
हम एतबे अहाँ सँ माँग करी ।
" माधव " रचित ई पितु दिवस पर ,
पितु - वंदन हम गाओल छी ।।
हे पितुवर माफ करब .............।।
----- गीतकार दिनेश झा " माधव "
सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला
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