dahej mukt mithila

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शनिवार, 21 अप्रैल 2018

तिरहुतिया भोजन अकरे कही ।। रचनाकार - रेवती रमण झा " रमण "

               || तिरहुतिया भोजन अकरे कही ||
                                     

उठि    अन्हरौखे     ब्रह्मस्नान ।
पूजा - पाठ  जाप  शिवध्यान ।।
 भाल त्रिपुण्ड श्रीखण्डहि चानन ।
 ठोप  सिन्दूर  सुशोभित आनन ।।
     धोती   कुर्ता   ,    चानहि    पाग ।    
 काँध   दुपट्टा   ,  चित  अनुराग ।।
  चूड़ा     दही    मिरचाइए    नोन ।
  चीनी   परिते  गद  -  गद   मोन ।।
  राहड़िक  दाइल  भात  तिलकोर ।
  ओलक   सन्ना   पटुआक   झोर ।।
  आदिए   घीव  ,  आ   अंत   दही ।
  तिरहुतिया  भोजन  अकरे  कही ।।

 रचनाकार
रेवती रमण झा " रमण "
                                    


                     


                  
               





                  







                  






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