|| दुइ दिन चान बढ़ल तजि देल ||
"विरह गीत"
"विरह गीत"
दुइ दिन चान बढ़ल तजि देल ।
जे शशि आब पूर्ण सन भेल ।।
आब मधुप मधु जँ नहि पान ।
तँ रस छिन नित होयत मलान ।।
असह उमा पति शत्रुक घात ।
प्राण विहून कैल निज गात ।।
करमक छूछ पूछ नही एक ।
भाग जाहि वर मीत अनेक ।।
"रमण" सुमन मति गति तुव जान ।
भल करम नहि लीखल विधान ।।
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
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