dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

गजल-६१@प्रभात राय भट्ट



गजल-६१
आजुक दुनियाँ में मोल नै रहिगेलै इन्सान के
देखू जग में रावनराज आबिगेलै सैतान के

जीवन कष्टकर भगेल छै जग में इन्सान के
सता शाशन कुर्सी हाथ चलीगेलै सैतान के

बाहुबली सभ निर्बल के सोनितपान करै छै
गाम शहर सगरो दम्भ मचीगेलै सैतान के

रक्तरंजीत भेल छै माए बहिन केर आँचर
इन्सान केर खून सं हाथ रंगीगेलै सैतान के

चौक चौराहा गली गली में जुवा भठ्ठी केर अड़ा
चौक चौक बार रेस्टुरेंट फूजीगेलै सैतान के

चरस गाँजा हफिमक बाजार सेहो गरम छै
बाल किशोर सभ शिकार बनिगेलै सैतान के

वर्ण-१८
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: