dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

भाई, हमहुं कवि छी (हास्य)


हमहुं किछु लिखलै छी
मनमें फ़ुटैत बात कहुना
किछु बिम्ब,किछु छंद संग
तुकबंदी, शब्दक अंग भंग
सुखद अभाव केर छवि छी ।
भाई, आब हमहुं कवि छी ।

हमहुं कहिं ऊड़ि जायत छी
कल्पनाक पांखि लगा कए
कखनो बहैत बसातक संग
मनमें चहकैत चिड़ै के संग
विचारक की आब कमी छी ?
भाई, आब हमहुं कवि छी ।

हमहुं घुसि जायत छी कहुना
पकड़ने आयोजकक ठाड़ टीकी
नित चलैत सब काव्य-गोष्ठी में
मिथिला– मैथिलीक संगोष्ठी में
किछु विशेष प्रतिभाक धनी छी
……..भाई, आब हमहुं कवि छी ।

हमहुं जोगाड़ कय लैत छी
आलेख-प्रलेख, काव्यक पेटी
किछु काटी -किछु छांटि कए
रचना -सर्जना सब बांटि कए
-----साहित्यक जे पुजारी छी
भाई, आब हमहुं कवि छी !!!!

-भास्कर झा 19 जुलाई 2012

1 टिप्पणी:

मनीष मिश्र ने कहा…

aab lagait achhi j hamhu kavi chhi....

neek rachna lagal...