dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

गजल-६२
अहाँ सं कतेक प्रेम अछि हमरा हम बताऊ कोना
करेज अप्पन चिर सजनी प्रेम हम देखाऊ कोना

अहाँ विनु गोरी करेज हमर कराहि रहल अछि
कोना कोना हम रहैत छि ब्यथा सभटा सुनाऊ कोना

नीन नै अबैय गोरी स्वप्न में हम अहिं के देखैत छि
अहाँ केर सुन्दर छवी नयन सं हम हटाऊ कोना

अहाँक स्नेह मोन पडैय जागी जागी राईत बितैय
अहाँक प्रेम में भेल बताह दिल केर मनाऊ कोना

बड मुश्किल सं बितैय सजनी हमर राईत दिन
साँस साँस में अहिं छि अहाँक विनु दिल लगाऊ कोना

वर्ण-२०
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

nik

बेनामी ने कहा…

nik