#श्री_बद्री_नाथ_राय_अमात्य’क एगो नव काव्य-
#मैथिल_के?
माछी मैथिल
मच्छर मैथिल
मैथिल मिथिलाक पवन वसात..।
घास-पात सेहो अछि मैथिल
काँटक सहित मखानक पात..।।
चूरा-दही चिन्नियोँ अछि मैथिल
तरुआ आ तिलकोरक पात।
अँमट अँचार सेहो अछि मैथिल
तुलसीफूल गमकौआ भात।।
पौरुष-पाग मैथिल मिथिलाक
मैथिल मिथिलाक अन्न जजात।
चोटी चानन दाढ़ी मैथिल
मिथिलानीकेँ मिलन-मिलाय।।
चौरचन मैथिल अदरा मैथिल
मरुआ मैथिल पान-मखान।
हमर विवाहक पद्धति मैथिल
विद्यापति केर गीतक तान।।
लगनी मैथिल झिझिआ मैथिल
मैथिल मिथिलाक कन्यादान।
बाट चलैत बटगवनी मैथिल
मैथिल उगल कोजगरा चान।।
मुङ्गरी माछक महँको मैथिल
मैथिल हमर बलचनमा।
ललचनमा सेहो अछि मैथिल
मैथिल हमर ललनामाँ।।
धनिकलाल मण्डलक मिथिला
मिथिला अछि सलहेसक।
सभसँ सुन्दर, रसगर
मीठगर भाषा हमरे देशक।।
संस्कार संस्कृति मैथिल
मैथिल हमर प्रकृति।
हमर रजोखैर पोखैर मैथिल
हमर महीपक कृति।।
माछी मैथिल
मच्छर मैथिल
मैथिल मिथिलाक पवन वसात..।
घास-पात सेहो अछि मैथिल
काँटक सहित मखानक पात..।।
© बद्री नाथ राय ‘अमात्य’
ग्राम+पोस्ट : करमौली
भाया : कलुआही
जिला : मधुबनी (बिहार)
मो. ७६३१६३८१८५
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