|| निर्गुन - पराती ||
सजन विनु रहिहहुँ कओन सुहागिन ।
एहि घरी प्रीत मिलन करु सुन्दरि
ना कर सोई अभागिन ।। सजन.....
साजि सयन जेवनार जेमाबहुँ
पुनि अवसर लभ नाही ।
बितहुँ रयन पिया उठि जैहहि
तुँव सिर धुनि पचताहीं ।। सजन....
साजु सुभग सुन्दरि मुख अयना
हेरि सकहि पियु तोरा ।
रूप कुरुप पूछ नहि एकहुँ
परत विरह तन कोरा ।। साजन.....
जो यौवन पियु दरस परस नहि
सो यौवन भल नाहीं ।
जाको पिया पकरि कर लीन्हीं
"रमण" जन्म तरि जाही ।। सजन...
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
सजन विनु रहिहहुँ कओन सुहागिन ।
एहि घरी प्रीत मिलन करु सुन्दरि
ना कर सोई अभागिन ।। सजन.....
साजि सयन जेवनार जेमाबहुँ
पुनि अवसर लभ नाही ।
बितहुँ रयन पिया उठि जैहहि
तुँव सिर धुनि पचताहीं ।। सजन....
साजु सुभग सुन्दरि मुख अयना
हेरि सकहि पियु तोरा ।
रूप कुरुप पूछ नहि एकहुँ
परत विरह तन कोरा ।। साजन.....
जो यौवन पियु दरस परस नहि
सो यौवन भल नाहीं ।
जाको पिया पकरि कर लीन्हीं
"रमण" जन्म तरि जाही ।। सजन...
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "