dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

दियावाती

|| दियावाती || 


चारूकात  चकमक  दीप  जरैया 
जहिना      पसरल    भोर   रे  | 
लक्ष्मी ठारि हँसै छथि खल-खल 
देखू     अंगना      मोर       रे  || 
पसरल   दीया   कतारे  सभतरि 
परहित        काज        करैया  | 
अपन     गाते    सतत   जराकय 
जग    में    ज्योति     भरैया    || 
अधम - अन्हरिया भागल चटदय 
धरमक    भरल      इजोर     रे  || 
                       लक्ष्मी  ठारि--  देखू   अंगना --
नीपल   आँगन  ,अड़िपन ढोरल 
चौमुख बारि कलश पर साजल  | 
 छितरल  चहुँ दिश  आमक पल्लव 
सिन्दूर    ठोप  पिठारे   लागल  || 
आँगन  अनुपम रचि  मिथिलानी 
लाले      पहिर     पटोर          रे || 
                   लक्ष्मी ठारि-- देखू   अंगना --
एक  दंत   मुख  वक्रतुण्ड  छवि  
गौरी           नन्दन          आबू   | 
दुख    दारिद्रक     हारणी   हे  माँ 
 ममता         आबि        देखाबू   || 
 अति  आनंदक  लहरि   में टपटप 
"रमणक "    आँखि   में  नोर   रे ||
                          लक्ष्मी ठारि-- देखू   अंगना --
रचित - 

रेवती रमण झा " रमण" 

कोई टिप्पणी नहीं: