dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 28 सितंबर 2013

ककरा कहबई के सुनतै सब लागई बहिर अकान सन


ककरा कहबई के सुनतै सब लागई बहिर अकान सन -

ककरा कहबई के सुनतै, सब लागई बहिर अकान सन
आब बुझैया भारतक हालत, भ गेल छै कंगाल सन
चुनाव लड़ई लेल ठाढो होई छै, सबटा चोर उच्चका सन
ककरा राखु, ककरा छोरु, विधिना भ गेल वाम सन
मोन त होईया, तेना हटाबी, मडुआ सन किछु पटुआ सन
ककरा कहबई के सुनतै, सब लागई बहिर अकान सन 

स्वतंत्रत भेला पर देश ख़ुशी भेल, ख़ुशी होयते फेर दुखी भेल
नहि बितल किछुओ दिन, देश दू भाग तत्क्षण बटी गेल
बटिते देरी खून खारापा, कतेक मरि गेल कतेक कटी गेल
ख़ुशी के आँशु दुखी में बटी गेल, कतेक घर के नामोनिशान जे मिटी गेल
देश के किछु भागक हालत, भ गेल छल श्मशान सन
ककरा कहबई के सुनतै, सब लागई बहिर अकान सन 

माछ भात के बात त छोडू, सागक नै अछि कोनो जोगार
देशक हालत एहन अछि केने, मंहगी चढ़ल अछि बीचे कपार
बाज़ार आ हाटक नामे सुनि क, पकडैत छि अपन कपार
नेता आ राजनेता सब के, नै छनि किनको एकर विचार
इ सब सोची माथ काज नै करैया, भ गेल छि सुन्न अकान सन 
ककरा कहबई के सुनतै, सब लागई बहिर अकान सन 

पहिले जे छल देशक हितगर, नाम ओकर छल सेनानी
आब कियो छथि एही तरहक ? जकर होई कियो दीवानी
हिनकर सबहक हालत देखि क, मोन करैया खूब कानी
अपना लेल इ सब खूब कमेला, जनता चाहे भरै पानी
आब कहु मोन केहन लगैया ? लगैया उजरल बांग सन
ककरा कहबई के सुनतै, सब लागई बहिर अकान सन 

संजय कुमार झा 
"नागदह"

Visitor sa aagrah je apan comment jarur daith - dhanyabaad. 

कोई टिप्पणी नहीं: