dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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मंगलवार, 27 मार्च 2012

रेणु जी की धरती से झूमड़ झमकावन लागे रे..



पूर्णिया, जाप्र: मैथिली अहांक भाषा थिक। जं अहां अपन भाषा बिसरि जाएब तं संस्कृति बिसरि जाएब। ताहि हेतु नहि बिसरू खराम, हर, पांचा, मटकूर-मटकूरी, उखड़ि-समाठ आ नहि बिसरू अपन माटि। बिहार शताब्दी के वर्ष के मौके पर बीएमटी ला कालेज के सभाकक्ष में मैथिली अकादमी पटना और कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मैथिली कवि सम्मेलन में ये बातें अकादमी के अध्यक्ष कमलाकांत झा ने कही।
श्री झा ने कहा कि मैथिली मात्र रजनी-सजनीक भाषा नहि रहल अपितु रोजी-रोटीक भाषा भ गेल अछि। बोले भारत की प्रतिष्ठित आईएएस की परीक्षा में आठ छात्र इसबार मैथिली से सफलता हासिल किये हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस भी जताया कि ये सारे छात्र मिथिलांचल के नहीं हैं। कहा कि सासाराम के छात्र संजय कुमार व हिमाचल प्रदेश की छात्रा ने भूगोल की परीक्षा भी मैथिली में दी। नालंदा के छात्र अमित कुमार ने इतिहास व मैथिली विषय से परीक्षा में सफलता हासिल की। कहा कि कोसी महासेतु बन जाने से मिथिलांचल एक हो गया है। जिस दिन इस पुल की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी उसी दिन मैथिली को संविधान की अष्टम अनुसूची में दाखिल करने की घोषणा की गई। मिथिला के पांच विभूतियों की चर्चा करते हुए कहा कि एक विभूति पूर्णिया के भी थे। जिनके नाम से इस कालेज का नामकरण किया गया है। कहा कि ब्रजमोहन ठाकुर के प्रयास से पहली बार 1917 में कलकत्ता में प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू हुई।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जयप्रकाश जनक ने रेणुजीक धरती सं झूमड़ झमकावन लागे रे, पूर्णिया नगर सुहावन लागे रे..गाकर लोगों को जहां पूर्णिया की धरती की गुणगान की वहीं हास्य कविता गेले छथि कविजी गाकर लोगों को लोटपोट कर दिया। इसके बाद बारी-बारी से कवियों ने काव्य पाठ किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत पंडित लड्डू झा के शांति पाठ से हुई। मैथिली परंपरा के अनुसार कवियों व अतिथियों का स्वागत चादर और पाग देकर किया गया। अमलेंद्र शेखर पाठक के मंच संचालन में स्वागत भाषण जयकृष्ण मेहता द्वारा दिया गया जबकि स्वागत गान कंचन ने गया। गणेश वंदना की प्रस्तुति कुमार अमित द्वारा की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे। इस मौके पर जिप अध्यक्ष सीमा देवी, प्राचार्य वीरेंद्र मोहन ठाकुर, गणपति मिश्र, आनंद भारती आदि मंच पर मौजूद थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_9060020.html

3 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

अरवीला रविकर धरे, चर्चक रूप अनूप |
प्यार और दुत्कार से, निखरे नया स्वरूप ||

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है ||

बुधवारीय चर्चा-मंच

charchamanch.blogspot.com

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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया रपट लगाई है आपने!
शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिए।
कमेंट देने में परेशानी होती है!

madan kumar thakur ने कहा…

डॉ० साहेब आपके कहे अनुसार शब्द पुष्टि कारण हटा दी गई , और आदेश करे ------