dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

रविवार, 4 मार्च 2012

"विआह"


सुनि गप्प विआह कें

मन अध्हर्षित अध्दुखित भेल |


सुझाए लागल ब्रह्माण्ड हमरा

तन-मन आकुल-व्याकुल भेल ||



क्षणिक सोइच आनन्द विआह कें

हम कुदअ लगलौं चाईर-चाईर हाथ |


द' चौबनियाँ मुस्कान

हम गुद्गुदाए लगलौं भईर-भईर राइत ||



नै छलौं देखने हुनका

नै छल हुनकर कोनो ज्ञान |


नै जानि तइयौ हुनके

कियाक बुझैत छलौं अपन प्राण ||



अचानक केखनो क' हमरा

मन मे भ' जाइत छल  साइत --

नै जानि ओ केहन हेती

अनाड़ी हेती या व्यावहारिक हेती !

बुझल छल हमरा एतबाए

हुनक व्यस(उम्र) छनि सोलह साल |


तांए डेराइत छलौं हम

कोना करब "प्रेमक' बात ||



बुझल छल हमरा एतबाए

ओ नैन्ना हम स्यान |

तांए डेराइत छलौं हम

कोना करब एकहि घाट हम स्नान ||



मुदा मन के बुझअलौं- की करबअ ?

मिथिला कें छै इहाए विधान

"कनियाँ नैन्ना " आ "वर स्यान " ||



:गणेश कुमार झा "बावरा"

गुवाहाटी

कोई टिप्पणी नहीं: