dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 28 जनवरी 2012


गजल @प्रभात राय भट्ट

       गजल
हम अहां केर  प्रीतम नहि बनी सक्लहूँ
मुदा अहांक करेजक दर्द बनी गेलहुं

अहां हमर प्रेम दीवानी बनल रहलौं
हम अहांक दीवाना नहि बनी सक्लहूँ

अहां हमर प्रेम उपासना करैत गेलौं
हम आनक वासना शिकार बनी गेलहुं 

अहांक कोमल ह्रदय तडपैत रहल
हम बज्र पाथर केर मूर्ति बनी गेलहुं 

हम अहांक निश्च्छल प्रेम जनि नै सकलौं
अनजान में हम द्गावाज बनी गेलहुं 

आब धारक दू किनार कोना मिलत प्रिये
मजधार में हम नदारत बनी गेलहुं
................वर्ण:-१६ ...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: