राम जेना पुरूषोत्तम कहावथि, नारी में उत्तम सीता। मिथिलाक नारी गुणक खान छैथि, माय सुनयना आ जनक पिता।. लाख सुन्नराइ के एक गोराइ, पहिरथि ओ सदिखन साड़ी।. केहनो समय रहय तैयो ओ बाजथि मीठ रहैथि ब्यवहारी, दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर. अप्पन मिथिला के नारी।. मिथिलावासी आदि काल सँ, देवी शक्ति के करैथि सम्मान, घर घर होइछ भगवती के पूजा, उच्चैठ भगवती मिथिला में महान। कालीदास एही मिथिला में विद्या लेल, पोतलनि भगवती के मूर्ति पर कारी।. दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर अप्पन मिथिला के नारी।. मिथिलाक नारी में विदुषी भारती, न्याय करैत पति मंडन के हार मानलन्हि, स्वयं शास्त्रार्थ करैत ओ एहि ठाम, आदि शंकराचार्य के हराओलनि, जगत जननी जानकी के त्याग एहि पृथ्वी पर अछि सभ सँ भारी। दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर अप्पन मिथिला के नारी।. धिया पूता के जिनगी लेल, ओ छठि के कठिन ब्रत पूजा करैथि , तीन दिन धरि निराजल रहि, नित्य दिन भूखल रहि गोसाओन के पूजैथि, सभ जनैछ जे गोसाओन के महिमा. एहि जग में अछि अनुपम न्यारी। दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर अप्पन मिथिला के नारी। कखनो बेटी, कखनहु पत्नी, कखनहु मायक रूप में भूमिका करैत, परिवारक गाड़ी के अपन स्नेह सँ, पटरी के पटरी सँ जोड़ैत। प्रेम आ बन्धन सँ जोड़ि कऽ सभके। सफल छैन्ह हिनक कलाकारी। दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर. अप्पन मिथिला के नारी। लखिमा ठकुराइन एहि मिथिला के, विद्यापति के प्रेरणा श्रोत। महाकवि के बेसी रचना में लखिमा के स्नेह सँ ओत प्रोत। कीर्ति करैथि वखान मिथिलानी के, सुन्दर सुशील आ स्वभाव गुणकारी।. दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर अप्पन मिथिला के नारी।
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