dahej mukt mithila

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शनिवार, 21 मार्च 2020

पुरुबक बेटी जखन पच्छिम बियाहल गेल ।। रचना - संजना झा




पुरुबक बेटी जखन पच्छिम बियाहल गेल 
त नाम ओकर पुरवहिनी भेल 
अहि जनम में दोसर जिनगी देल गेल 
सब रीति कुरीति ओतहि रहि गेल 
स्वप्नक लोक स 
इ मोन आब बाहर भ गेल 
दुलारक आह्लादित नाम पुरवहिनी भ गेल 
नेबोक ठाढ़ि जँका 
जैर कतरी आन गाछ 
जाहि सॅ बान्हि कलम लगाओल गेल 
तहिना इहो धिया अनचिन्हार 
गाछ सॅ बान्हल गेल 
आब पुरना भाष करेजे में रहि गेल 
नाम जखन पुरवहिनी भेल 
सबटा शब्द परिवर्तित भ गेल 
अनचिन्हार आखरक जट्टा बनि गेल 
निशब्द भय पुरवहिनी अपन डेग 
उठबैत चलि गेल 
बुझि ने परल कहिया पुरवहिनी 
पूर्णरूपेण पच्छ्मिनी भ गेल 
संजना झा 21-3-2020