dahej mukt mithila

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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

mayak aas

मायक आस
नै दैत छी हम किनको दोष
नै अछि हमरा कनिको दुख ,
जे
'ओ 'कियक चलि गेल !!
ई त होबाके छल !
बरख दर बरख सँ त इहे त भ रहल छैक !!
हमहू जनैत छी,जे
हमर दुख ,हमर उपराग
ओहि उसिर खेत के हरियर नै क सकैत अछि ,
जे आब अनेरूवा घास सँ पाटल अछि !
हमरा अकरो दुख नै अछि ,जे
हमर फगुवाक रंग मलिन
आ ,जुड़िशीतलक हुडदंग सून भ गेल अछि !!
हम त बुझै छियेक ,जे
परदेसी बनल हमर संतान सभ
दोसरक रंग में रंगल ,
फुसिक हँसी हँसैत अछि ;
आ ,
मातृभूमि सँ दूर रहबाक दर्द
पाथर बनि क सहैत अछि !!
हं,
हम इहो मानैत छी जे
पलायनक दंश ,
हमर करेज चालनि क देने अछि ;
आ ,हमर सुन पड़ल घर -दुअारि
हमरे मुँह दुसैत रहैत अछि !!
मुदा ,
हमरा अडिग विश्वास अछि ,
फेरु आओते ओ दिन
जहिया ,
हमर आंगनक तुलसी निपायत ,
फेर सँ पंछी सभ रंग -बिरंगक गीत गाओत ;
अरहुलक झोंझर सँ बहराइत बुलबुल,
 फेरु सँ चहकतै;
आ ,
घरक मुंडेरी पर सँ 'ओ '
फेरु इन्द्रधनुषि छटा निहारतै ।
हमरा पूर्ण आस अछि
जहन ,
आमक गाछी सँ अबैत
कोइलिक मधुर स्वर ओकरा बजौते ;
जहन ,
 साओनक पनियैल सोन्हायल
माटिक सुगंध ओकरा ईयाद आओतै ;
तहन,
घुरि अओतैेक हमर बच्चा
हमरा आँचर तर !हमरा कोर में!!
       काशी मिश्रा ✍✍

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