dahej mukt mithila

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सोमवार, 26 नवंबर 2018

क्यों रचा स्वयम्बर वैदेही ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                    ।। क्यों रचा स्वयम्बर वैदेही ।।
                    "अश्रुपात"


अवनी आँचल की अचल सुता
   क्यो  शिव  धनु  धरकर  वैदेही ।
  प्रण लिए जनक धनु भंग सबल
     क्यो  रचा   स्वयम्बर   वैदेही ? ।।

  वरमाल   डाल  पुरुषोत्तम   को
    क्या  सफल   हुई  तू   वैदेही ? ।
  उन  महा   धनुर्धर  को  पाकर
    क्या  सबल  हुई  तू  वैदेही ? ।।

  जो जन्म  दिया , वो  मूक रही
    ममता  आँचल में  ले न सकी ।
   वो  मातृ  स्नेह   मधुराधर  का
      निज स्तन का सुख दे न सकी ।।

    है कौन?कहाँ से,जो प्रश्न चिन्ह
     सा  ,  मातृ   हीन   री   वैदेही ।
    तब  वहाँ   विदेह   देह  भरकर
    भरी   गोद   सुनयन   स्नेही ।।

     जिस  वसुन्धरा के आँचल  से
      जन्मी  और  उसमे  समागई ।
      न  समझ   सका   लीला  तेरी
        नारी  जीवन  को  रुला  गई ।।

      राम  क्षमा  कर  देना  मुझको
        पावन मिथिला का प्रवासी हूँ ।
      मैथिली   प्यारी   बहन   मेरी
          मै शुभ चिन्तक अभिलाषी हूँ ।।

      जो  पीड़ा   लेकर   चली  गई
       जीभर उस दुःख को गाऊँगा ।
      प्रतिजन्म कथा कविता करने
       मै  जनकपुरी   में   आऊँगा ।।

    रचनाकार
      रेवती रमण झा "रमण"


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