dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

BhRun hatya

भूण हत्य|
आई मन में एकटा विचार भेल
किया समाज खराब भेल|
जनइत अछइत में
किया करई छै ...
समाज इ अपराध,
जै मालुम छै
भूण हत्या छै महापाप||
इ कथा मिथिला समाज के सिर्फ नहि अछि,
समस्त समाज में फैलइत इ पाप अछि|
जनइत अछइत में किया करई छै समाज इ अपराध,
जै मालुम छै भूण हत्या छै महापाप||
जै बेटा रहइत त मान करई छि,
बेटी रहइता त माईर फैकइ छि|
ओइ अबोध शिशु सै कि भेल एहन अपराध,
किया करई छै समाज एहन काज,
जै मालुम छै भूण हत्या छै मयहापाप||
सीता,मीरा, लछ्मीबाई तीनों छथीन,
आदर्श,प्रेम और वीरताक देवी,
कि नहि मिलन हीनकर सभक मैया बाबू के सम्मान?
आई कौन बेटा आइब करई छथीन जनक जी के नाम,
बेटी बचाऊ अहि में अछि सभक सम्मान,
जनइत अछइत नहि करु इ अपराध,
जै मालुम अछि भूण हत्या छै महापाप||
:"कंचन कुमारी झा"

1 टिप्पणी:

Neeta Jha ने कहा…

अत्यंत मार्मिक रचना थिक.अहि माध्यमक अपन सीमा थिक .काश बहुत लोग ई कविता के पढ़ी स्किट ..