dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 9 मई 2012

हे मिथिला तूं कानय नै

हे मिथिला तूं कानय नै
जानय छी तोरा बड़ दुःख होई छौ
लेकिन नोर खासबय नै
हे मिथिला ...........................
हमहूँ तोहर कर्जदार छी
अपने कर्मे शर्मसार छी
भागी गेल छी गाम छोरी क
एबऊ तूं घबराबई नै
हे मिथिला.......................
याद अबैये खेत पथार
एतय बनल छी हम लाचार
पेट के खातिर भटैक रहल हम
लग किओ बैसाबई नै
हे मिथिला तूं .....................
तू त में छे दुःख के बुझ्बें
अप्पन कस्ट के तू नै कहबे
जनई छी तोहर ममता गे में
मिथिला में फेर बजाबई ने
हे मिथिला तूं कानय नै
रचनाकार आनंद झा ....

कोई टिप्पणी नहीं: