राठी के सभा लगइए,
घर घर हर्षक दीप जरईए,
बेटी बापक मुन हर्ष्ये
आब ने कियो दहेज मंगइए।
बेटी के आब सब पढ्बइए,
धी मे सिया के रूप पबईये ,
रामक सब कामना करईय'
आब ने कियो दहेज मंगयिए।
ई डॉक्टर ते ओ इंजीनियर,
मायक हृदय बर हर्षित होइए ,
बहिन बेटी केर मान बढहिए ,
आब ने कियो दहेज मंगइए।
माथाक पाग आब माथे रहतइ,
अप्पन भाग्य अपनहि से लिखतई ,
जय मिथिला उद्घोष करईए,
आब ने कियो दहेज मंगइए ।
"अमित" क सेहो आब मुन करईछैन्ह,
सभा गाछी दिस कदम बढ़इ छैन ,
आंखिक पट आब सब खोलईये
आब ने कियो दहेज मंगइएI
अमित मोहन झा
ग्राम- भंडारिसम, मनीगाछी, दरभंगा, बिहार, भारत।
नोट..... महाशय एवं महाशया से हमर ई विनम्र निवेदन अछि जे हमर कुनो भी रचना व हमर रचना के कुनो भी अंश के प्रकाशित नहि कैल जाय।
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