dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

पद-चिन्ह

 
" पद-चिन्ह "
नै कान तूँ! नै कान तूँ !
एक दिन करबाए नाम तूँ
आई कष्ट काटि रहल छें तूँ
एक दिन करबाए नाम तूँ
नै कान तूँ ! नै कान तूँ !
शिव धनुष तोड़बा लेल
बनि जो आई राम तूँ
परुशरामक क्रोध खाइयो कें
मुदा नै हार मान तूँ
नै कान तूँ ! नै कान तूँ !
सूरज डूबि फेर उगई छै
नदी सूइख फेर भड़ई छै
गाछो मे पतझड़ होइत छै
फेर किएक छें उदास तूँ
नै कान तूँ !नै कान तूँ !
की केयो मनुष कह्तौ तोड़ा
जँ मात्र खा-पी मईर जेबें तूँ ?
जँ जन्म लेलें एहि धरती पर
त किछु नव- पथ करै निर्माण तूँ
नै कान तूँ ! नै कान तूँ !
कह! तोरा-ओकरा मे कुन अन्तर
जँ एकहि पथ कें राही तूँ
जँ छोड़बाक छौ किछु पद-चिन्ह
त चल भीड़-भाड़ सँ बाहर तूँ
कान तूँ ! नै कान तूँ !!!!!!

:गणेश कुमार झा "बावरा"

गुवाहाटी


MAITHILI KAVYA: KAVITA

कोई टिप्पणी नहीं: