dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

गजल


चढल फागुन हमर मोन बड्ड मस्त भेल छै।
पिया बूझै किया नै संकेत केहन बकलेल छै।

रस सँ भरल ठोर हुनकर करै ए बेकल,
तइयो हम छी पियासल जिनगी लागै जेल छै।

कोयली मधुर गीत सुना दग्ध केलक करेज,
निर्मोही हमर प्रेम निवेदन केँ बूझै खेल छै।

मद चुबै आमक मज्जर सँ निशाँ चढै हमरा,
रोकू जुनि इ कहि जे नै हमर अहाँक मेल छै।

प्रेमक रंग अबीर सँ भरलौं हम पिचकारी,
छूटत नै इ रंग, ऐ मे करेजक रंग देल छै।
सरल वार्णिक बहर वर्ण १८
फागुनक अवसर पर विशेष प्रस्तुति।

कोई टिप्पणी नहीं: