मिथिलाक गाम घर :
हमारा लग रहब : १०
मिथिलाक गाम घर : प्रणव भारी डेग उठबैत बीदा भेल । किम्ह्रो कियो नहीं छलैक , नहीं त लाजे आरो मरी गेल रहित । पूब मूहक दर्व्वाज्जा स हटी क हवेलिक पछूआर देने अपन पछबारी टोल दिश बीदा भेल । मुदा बारीक पछिला गाते पर कियो टोकाल्कैक -- किताब्बे बदला बदली म डांट सुनी गेलहु च च च .....
आन्हारो म माला क स्वर चिनीह लेल किक प्रणव । बारीक दर्ब्बजा केर चौखट पर डार पर दूनू हाथ रखने ठाढ़ छलैक । ओकरा डेग आगू बढबैत देखि फेर टोकाल्कैक --- अहू घर स अजीब सम्बन्ध छोऊ तोहर । कानी देह छोला पर हम छाती मारी देने रहियौक आ आई कने कित्ताब्ब मंगला पर बाबूजी दर्ब्बज्जे स खेहारी देल्खून ।
प्रणव तहियो कोनो उत्तर नहीं देलक । आगू बढ़ चाहलक त माला आर लग सहटी आय्लैक --- मुदा आई चाट नहीं मार्बौक हम । छू ले , छु क देख ने । हल्लो नहीं करबौक । ककरो नहीं कहबैक आ ने .....
प्रणव के लागले जेना हाथ पकरी खीची लेतैक माला । कालू चौधरीक डाट सूनी जे डेग लोथ भ गेल छलैक , फेर जोर स मारलाकैक । परायल परायल अपन आँगन में आबी क ठाढ़ भेल ।
दौराल हक्मैत आबैत देखि मामी टोकाल्कैक -- की भेल बौऊ ? एना परायल कियक आय्लाहू ?
प्रणव कोनो जवाब नहीं देलकैक । की जवाब डिटेक ? चुपे रहल ।
मुदा गामक लोक चुप्प नहीं रहलैक । सभ टोल में फूस फूस , फूस फूस । फेर घोली मची गेलिक । ३ दीन भ गेलिक । झाप टॉप केने छैक , तक्का हारी भ रहल छैक ।
रूदल चौधरी त दालान में सबहक सामने पोछी बैसल्थिन --- की दन सभ सुनैत छि भाई ? मालाक कोनो पता लागल ?
कल्लू चौधरी केरव मूह लाल भ गेलें तामस स । दियादी कातक लेल रूदल के येह अवसर भेटलें । बेटी , पूतौहक इज्जती झाप्बाक चीज थिकैक , ओकरा एना बाजार में इश्तहार नहीं बाटल जैत छैक । पूछ्बेक छलैन त एकसार में पूछी लितैथ । कोनो आन त नहीं छित रूदल , अपने पित्त्रौत्त थिकाह । बेटी सन छानी माला .....
मुदा मलाक नाम मों पारित देरी तामस्क अस्थान लाज आ ग्लानी ल लेल्कैं । एहन बेतिक बाप भेला स आई सबहक सोझा गर्दन झुकी गेलें । जनामिते मरी गेल रहितैन तहियो एहन क्लेश नहीं होइतैन । बताक अभाव में कहियो मूह मलिन नहीं भेलैन । माला आ शिलाक सभ दीन बेटा जाका राखाल्थिन । सासोंरो नहीं जाई परिक ते दरिद्र आ कूलिं जमे ताक्लैन जे गामे म जथा आ बासक जमीं द बसा देतीं । मुदा माला त सभटा केर उजारी , सभ पर करिखा पोत्ति निप्पत्ता भ गेल छलैन ।
सोमना अहिल्या स्थानक मेला में बद्रीक संग देखने छलैक । मुदा बदरिया दोसरे दीन मेला स घुरी आयल । कतबो डेरा - धमका क कियो पूचाल्कैक , किछो नहीं गछाल्कैक । नुम्बरी पाजी आ लम्पट अछि बदरिया । ओकर थाह भेताब मुस्किल ।
मुदा पुलकित केर ताः लागी गेल छलैन --- सभ टा बुझी गेल्याई हाउ भाई । इ बदरिया भारी हीरो अछि । छौरी के फूसिला मेला ल गेलिक आ फेर ककरो हाथ बेचीं अपने घुरी आयल ।
बेसी लोक के ई सांगत बूजेलैक । मुदा बदरिया चुप बैसे लोक नहीं छल । ओहो अपना
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