मिथिलाक गाम घर :
हमारा लग रहब : ७
मिथिलाक गाम घर : प्रणव दीन भरी दूकन्हा पर सूतल रही गेल । रातियो क आँगन में पतिया पर परल - परल मालाक चाट आ ओकर बात ओकरा आसांत कयने रहलैक । नेंग्रा गुरुजी कतेको बेर बेत्त स देह फूला देने छलैक , लल्बित्थूआ स सौसे देह लहरा देने छलैक , मुदा मालाक चाट आ बातक लहरी ओही स बढ़ी क छलैक । कियक मारलक एना हमरा ? मामिक देह स चिक्कन देह छैक ओकर ? की बेशी सोंनर अछि मामी स ? आ हमर हाथ कोनो कारी खोर्नाथ अछिं जे दाग लागी जेतैक ? बरका घरक बेटी अछि त अपना घर । कोनो हम खुसामद करे गेल छलियैक ? अपने मोछक झक्का आ तेतारिक चटनी लेल जान देत , हाथ - पैर जोरत आ काम निकला पर एहन एट्ठी ? आब हमहू मजा चखा दबाएँ दूनू बहिन केर । लाख मानों करतीह , नहीं दबाएँ तोरी के , नहीं चाद्धबानी गाछ पर । बज्बो नहीं करबैक दूनू स । दूनू एथ्लाही अछि । जेहने पढबाक में भूस्कोल , तेहने लूरी में । गोबरक चोट अछि ओ दूनू । हमरा कथीक खुसामद ? देखा दबानी आब ? नेंग्रा गुरूजी क बाले खिल्खिलैत्त छित -- खिल्खिलाईट रहौथ । पर्बाही केकरा छैक ? जे दूनू स बाजे से गीदरक नेरी खाय ।
सट्टे नहीं बज्ल्कैक दूनू बहिन स ५ वर्ष । अप्पर प्रिम्मारी हाई स्कूल में आबी गेल , १० मा पास क मत्रिच्क क तय्यार्री म लागी गेल , मुदा अपन सपाट मों रहलैक प्रणव के । माला त तीने वर्षक बाद स्कूल छोरी देलकैक । ९ वे में छलैक की बिबाह भ गेलिक । बार एकदम बूधाठ छलैक --४० या ४५ बरखक , माथक आधा केश पाकल । कारी रंग आ एक टा दात उंच । कोनो बरका जाती बाला छलैक --महादेब झा पाजी ---बाद में ओ बूझाल्कैक । जाती लेल ओई दरिद्र आ कुरूप वर के उठा अन्ने छलथिन । कतबो कियो मना कयल्कन , नाही मनाल्थिन -- पूरूखाक कतहू रूप देखल गेलिक अछि । आ सम्पति हम द देबैक , १००-५० बिघाक कोण गन्ना छैक ? मुदा कहां बार के आन्लाहू अछि से ने देखू । महादेव झा पाज्जी -------
मुदा प्रणव के ओही बार के देखि हसी लागी गेलिक । जोर स हसाल । ईक्छा भेलैक जे की ओत्बाही जोर स हसैक जतेक जोर स ओकरा देह पर बेत लागला पर माला हसित छलैक । मुदा ओकर हसी बीला गेलिक । मों पर्लैक जे बेत लागल देह कोना ओही खिल खिल हस्सी स लहरी उठैत छलैक । भेलैक जे की आई माला ओहिन छात्पत्ता रहल हेतैक । एहन बार केर देखि ओकर मोंन आ देह अहिना छात्पत्ता रहल हेतैक । ओकरा मों भेलैक जे आई अपन कसम तोरी दियअ आ माला स पूछैक --- तोरो दर्द होइत छौक ?
मुदा माला हवेलिक भित्तर माला कनिया बनल बैसल छलैक । दर्ब्बज्जा पर बर्यातिक संग दत्त उंच बूधाठ बार बैसल छलैक । आ बेहाल आप्स्यात कालू चौधरी छलाह । ओकर साहश नहीं भेलैक जे भित्तर जा क कनि माला क देखैक । कतेक दीन धरी तक उदास रही गेल परनव ।
मोड़ा बिबाहक किछु दीनका बाद माला केर देखाल्कैक त अवाक रही गेल । बिबाहक बाद स्कूल गेनाई छोरी देने छलैक माला । ओई दिन मंदिर लग देखाल्कैक प्रणव त अपना पर तामस भेलैक । अहि माला लेल उदाश छल ओ । ओ त जेना खुशी स आर गूद्गरी भ गेल छलैक । रांगल थोर आ मूह , कान आ सौसे देह गहना । जरीदार साड़ी में खुसी स चमकैत आकृति । आखी में बैह दूस्त्ता भरल हस्सी आ ओई हसी म मिल्ली गेल एक टा आमंत्रण । प्रणव के अपन भाबूकता क्रोधक संग संग लाजो भेलैक ।
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