dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

एक नजर देल जाओ कुम्भ स्थली " सिमरिया " पर

एक नजर देल जाओ कुम्भ स्थली " सिमरिया " पर जतय करोरो श्रद्धालु अपन जीवन के सुखमय , और गौरव आनंदित करैत , अपन जिनगी के शर्थक और भक्ति लिन करैत , हर्षो उलाश सँ अपन पवन- पावन धरती मिथिला के गुण-गान करैत एक दोसर के , उदेश कोना देत अछि ,------


रविवार, 30 अक्तूबर 2011

छठी मईया



उग हो सुरुजदेव@प्रभात राय भट्ट


उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//

हाथ अर्घ लेने हम जलमें ठार
उग हो सुरुजदेव सुनियौ  नए हमरो पुकार
थर थर कपैय देह जल विच हम ठार
उग हो दीनानाथ करियौ नए हमरो उद्धार
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//१

भेलई भीन्सरबा काग करैछई शोर
दर्शन कय खातिर नैना ब्याकुल मोर
सुगा मनडराई देख केराके घौर
फलफूल डाली देख चीडैया करय शोर 
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//२

अन्न धन लक्ष्मी दिय गोदमे ललना
पूरा करियौ दीनानाथ हमरो मनोकामना
बेट्टी लक्ष्मीनि दिय विद्द्वान जमाय
हो दीनानाथ दिनकर होऊ नए सहाय
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//३

बड़ारे जतन से अएली छठी मईयाके घाट
हे छठी मईया नैना तकैय अहींक बाट
कोढ़ीयन कय काया दिय निर्धनके धन
निष्ठुर निश्चर कय दिय दयालु मोन
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//४

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

अंदाज ए मेरा: बडी हो रही है मेरी बिटिया

अंदाज ए मेरा: बडी हो रही है मेरी बिटिया: ­­­ अभी कल ही की तो बात है। मेरे घर एक नन्‍ही परी का आना हुआ था। समय कितनी तेजी से बीतता है। कब गोद से उतरकर वो चलने लगी और कब बोलने लग...

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

Sub: Printing of Maithili in the Rupee Note


1.
The Finance Minister
Government of India
New Delhi

2. The Governor,
Reserve Bank of India
Mumbai

Sub: Printing of Maithili in the Rupee Note

Dear Sir,


We would like to bring to your kind attention an anomaly in the printing of Indian currency wherein out of the 22 languages having been accorded ‘official language’ status as per the eighth schedule of the Constitution of India, only 17 find a place on the Indian currency. The Reserve Bank of India (RBI) had earlier diligently provided for all the official languages to be printed on the Rupee note. However, it appears that after the inclusion of four new languages (Maithili, Santhali, Dogri and Bodo) in the eighth schedule on January 8, 2004, the same missed the attention of RBI. It may also be mentioned that out of the three languages included in the eighth schedule in 1992 (Manipuri, Konkani and Nepali), though two languages were given a place on the Rupee note, only Manipuri was, inexplicably, left out.

2. The Rupee note is the symbols of our sovereignty and pride. It goes without saying that all the languages which find a mention as ‘official language’ in our Constitution, should be treated with equal respect and be given similar treatment including a place on our Rupee note. We therefore, request you to take appropriate steps to include Maithili as well as the remaining four languages i.e. Manipuri, Santhali, Dogri and Bodo, on the Rupee note. Such a step will not only help in National Integration, it will also inculcate a great sense of pride and belongingness in various corners of our great country.

3. The ancient language of Maithili has its own script known as ‘Tirhuttam’ or ‘Kaithi’. As we can see on Rupee note, many of the languages such as Konkani, Marathi, Nepali, Urdu, Kashmiri etc. mentioned on it don’t have their own script. With due respect to these languages, we would like to submit that Maithili may be mentioned on Rupee note in its own script as more number of indigenous scripts on Rupee note will reflect the cultural excellence and plurality of our nation.
4. The method and mechanism of such an effort may not be considered difficult as a small change in font and size will create enough space for these languages as well as, many more languages in future, on the Rupee note. Let the Indian Currency be a real and potent symbol of our sovereign country and instil a sense of pride in every corner of this great nation without any discrimination.

Yours sincerely

( )

नोट - यह पत्र एक बैंककर्मी ने तैयार किया है। अगर आप भारतीय संविधान और भारतीय भाषाओं को सम्‍मान देते हैं, तो इस पत्र को अपना मान कर अपने मेल आइडी से संबंधित लोगों तक पहुंचाने में मेरी मदद करें।

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

अंदाज ए मेरा: वेलडन बंगाल टाईगर......

अंदाज ए मेरा: वेलडन बंगाल टाईगर......: मान गए आपको। जज्‍बा हो तो ऐसा। आपके जज्‍बे को देखकर लगता है कि आपको बंगाल टाईगर ऐसे ही नहीं कहा जाता। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री...

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

Details

Details

जागेला बादो नै हम


 
बहुत बिलम्ब भेल मुदा आब हम जाग गेल छि ।
दहेज़ नै लेब आ नै देब इ हम प्रण कऽ रहल छि ॥
सत -सत नमन करैत छि DMM के संथापक आहा के,
सत -सत नमन करैत छि मैथिल युवा आहा के,

सत -सत नमन करैत छि ,
 जे आहा हमरा जगा रहल छि
... आबो नै हम जागब त की हम ,
जागू-जागू यो ललना के पिताजी,
 कियक आहा कशाई बनल छि
बेटी बाला के जिन्दगी भर के कमाई,
कियक आहा दो दिन के पार्टी में उड़ा रहा छि ?

जागू-जागू यो युवा कियक आहा बिक रहल छि ?
शिक्षा लेल पढू, कियक आहा सर्टीफिकेट लेल पढ़ रहल छि ?

सत -सत नमन करैत छि DMM के संथापक आहा के ,
जागेला बादो नै हम जागब त की ,
 हम अपने आप के जिन्दा मानि रहल छि ?

जागू -जागू यो बेटी के पिताजी ,
कियक नै बेटी के शिक्षा द रहल छि
दू- दू टा कुल के उद्धार करत से ने कियक जानि रहल छि ?

जागू - जागू गे बेटी ,
जागू-जागू गे बहिना ,
कियक आहा भयभीत भेल छि
कानून भी आहा के साथ अछि ,
DMM भी आहा के साथ अछि ,
से ने कियक आहा जानि रहल छि ?

सत -सत नमन करैत छि DMM के संथापक आहा के
सत -सत नमन करैत छि ,
 जे आहा हमरा जगा रहल छि

आबो नै हम जागब त की हम अपने आप के जिन्दा मानि रहल छि ?

राजनारायण झा (समस्तीपुर बिहार )
अभय कान्त झा दीपराज कृत-

                                           ग़ज़ल


ज़िन्दगी में तुम्हें जब भी ठोकर लगे, याद रखना मेरा प्यार काम आयेगा |
मैं  करूँगा  दुआ जब किसी के लिए,  मेरे  होंठों  पे तेरा  भी  नाम  आयेगा ||

मेरी  हस्ती  बड़ी  तो  नहीं  है  मगर,  हाथ   थामूँगा   तेरा,   निभाऊँगा   मैं,
दोस्त तूफाँ में होगी जो कश्ती तेरी, बन के साहिल मेरा हर कलाम आयेगा ||

बात  हो  शाम  की  या  सुबह  की  किरण, तेरी राहों से काँटे चुनेगा ये दिल,
कोई तुझको निहारे, न चाहूँगा मैं, बन के चिलमन मेरा हर सलाम आयेगा ||

मुस्कुराकर किसी को जो देखोगे तुम, दिल जलेगा मगर मैं ये सह जाऊँगा,
दर्द भी तेरा सहने की खातिर कभी,  दोस्त  हाथों  में  मेरे  न  जाम आयेगा ||

कोशिशें  यूँ  न  कर  भूलने  की  मुझे, कोई  सपना  नहीं  हूँ  हकीकत  हूँ मैं,
आँख से जब भी छलकेंगे आँसू तेरे, बन के आँचल मेरा हर पयाम आयेगा ||

मेरा  रिश्ता  ये  तुझसे  नया  तो  नहीं,  हमसफ़र  खेल  है  ये  पुराना  बहुत,
देखना  एक  दिन  ये  बताने  तुझे,  खुद  ज़हां के खुदा का निजाम आयेगा ||
                                    
                                रचनाकार - अभय दीपराज

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

बदरा उमैर उमैर घनघोर

बदरा उमैर उमैर घनघोर
बरसे आंगन मोर
प्यासल तनमन अछि
हृदय भेल हमर विभोर
दिल चुराक प्रीतम मोर
कतय गेले चितचोर //२
सिनेहियाक सूरत देखैले
नैना सं झहरे नोर
रिमझिम रिमझिम सावन वर्षे
तनमन में अगनके जलन
सजन उठल बड जोर
कतय गेले चितचोर //२
अंग अंग ब्यथा उठल
फटेय पोर पोर
बदरा के बूंद बूंदमें
लगैय संगीतक शोर
खन खन खनकैय कंगना
छम छम बजैय पायल मोर //२
पिया लग आऊ प्यास बुझाऊ
मोनमें उठल बड जोरक हिलोर
अहां बिनु जोवन भेल भारी मोर
कतय गेले सजन चितचोर
विरहिन भेष देख हमर
मुस्की मारैय चानचकोर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011


हमर मोनक अहीं गूगल अहीं युआरेल छि

अहींक प्रेमक स्क्रैप सौं हमर भरल गीमेल छि !

ऑरकुट पर मुँह ठोर अइछ कने दोसर रंग


फेसबुक पर तेसरे रंग इ कोन खेल छि !

पोप केलक मेसेज अहाँ बीजी भ गेल छि !

आईटी सन सैद्खन अपडेटेड अहाँक स्टेटस


विन्डोजक प्रोसेसर में अहाँ एप एन्ड्रोआईड छि !

नेटवर्कक् अई माया सौं तरंगित अइ तन मन

अहीं जिनगीक प्रोग्रामक सॉफ्टवेर भ गेल छि !

स स्नेह



विकाश झा


विडियो में चैट खातिर लेलौं हम थ्री गी

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

अंदाज ए मेरा: अमिताभ बच्‍चन पिछले जन्‍म में भी नायक थे....!

अंदाज ए मेरा: अमिताभ बच्‍चन पिछले जन्‍म में भी नायक थे....!: महानायक। शताब्‍दी का नायक। सुपर हिरो। एंग्री यंग मैन। शहंशाह। बिग बी। ना जाने कितने नामों से जाना जाता है अमिताभ बच्‍चन को। न भूतो न भवि...

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

गाडीक पहिया नर आर नारी



गाडीक पहिया नर आर नारी@प्रभात राय भट्ट

गाडीक पहिया नर आर नारी--------1
एक पहियामे हवा भरल 
दोसर पहिया पंचर परल 
जाधैर पंचर नै टलबैय   
कहू कोना गाड़ी चल्तैय

गाडीक पहिया नर आर नारी--------2  
सब कहैछी बेट्टाबेट्टी एक सामान
फेर बेट्टी किये होईय अपमान
बेट्टा इंग्लिश स्कुल में पढैय
बेट्टी किये बकरी पठरु चरबैय

गाडीक पहिया नर आर नारी---------३
बेट्टा पेन्हैय सुट सफारी
बदेल बदेल चढैय मोटर गाड़ी
बेट्टी पेन्हैय फाटल अंगी साड़ी
बारीमे उब्जबैय तिमन तरकारी

गाडीक पहिया नर आर नारी-----------४
बेट्टा खैय मिट मछली खुआ मलाई
आ घुटुर घुटुर दूध पिबैय
बेट्टी खैय सुखल रोटी पैर नून मिरचाई
आ टुकुर टुकुर माएक मुह ताकैय

गाडीक पहिया नर आर नारी------------५
बेट्टा सुतैय पलंग माएक छाती संग
बेट्टी सुतैय बिछाक पटिया बकरीपठरु संग
बेट्टा पैर लुटबैय माए बाबु अपन ममता
माए बाबु संग सूती बेट्टी के लागल सेहनता

गाडीक पहिया नर आर नारी------------६
दलानमें बैठ बेट्टा खेलैय जुआ तास
एसगर चौरीचांचरमें बेट्टी कटैय घास
भोरे सूती उठी बेट्टी बनाबैय भानस
खानामे  देर हुए ते सब देख्बैय तामस
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

अभय कान्त झा दीपराज कृत - मैथिली ग़ज़ल

                         मैथिली ग़ज़ल 

सोचैत छथि किछु लोकनि अक्सर- हमर कप्पार जरल अछि |
उठावय  में  जे  भारी  अछि,  एहन  किछु  भार   परल   अछि ||

जखन  विश्वास  अपना  पर,   अहाँ   के   नहिं   रहत   बाँचल,
ओहू   शेरक   नज़र   सँ   मोन   घबरायत   जे   मरल   अछि ||

कोना   ओहि   आदमी  के  जीत  भेंटतै  वा  सफल  होयत ....?
जे बस हरदम  बनल  कोढ़ियाठ,  बिस्तर  ध  क  परल  अछि ||

पड़ोसी   भाई   के   कनियाँ,   अहाँ   के   साइर   और   भौजी,
लगैत  अछि  देह  हुनकर  माटि  नहि, कुन्दन सँ गढ़ल अछि ||

बहुत  किछु  ज्ञान  रहितो  हम,  बहुत  गलती  सँ  नहिं बचलौं,
तेना   लागल   जेना   दारु,   एखन  माथा   में   चढल   अछि ||

परीक्षा   के   जखन   हम   नाम   सुनैत   छी   त  कँपैत   छी,
लगैत  अछि-  सबटा  बिसरल  रहैत  छी,  जे  की पढल अछि ||

जों   राखब   मोन   में   संतोष,    थोरबो    में    खुशी    भेंटत,
ओ  गाछी  काल्हि  फेर  फरत,  जे  कम  एहि बेर फरल अछि ||

जे  करक  अछि  अहाँके  काज,   करब   जों,   त   भ   जायत,
जों  देहक  दर्द  के  अनुभव  करब,  लागत  जे   बढल   अछि ||

निराशा  मोन  में  जों  अछि,   त  रस्ता  नहिं  कटत  कखनों,
बुझायत  ई-   जेना  किछु  काँट  सन  तरवा  में  गड़ल अछि ||

भेंटल   जे   हैसियत,   ओहि   सँ,   करू   उपकार   दुर्बल  के,
ओ पोखरि कोन काजक ? जे भरल अछि किन्तु सड़ल अछि ||

                                रचनाकार - अभय दीपराज 

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत -

        सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा...............

सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम |
मिथिलावासी, जगदम्बा के,  उठि-उठि करथि प्रणाम ||

जगजननी  के  सुन्दर  मुखड़ा,  सुन्दर   मोहक   रूप |
लागि  रहल छल,  जेना  बर्फ पर,  पसरल भोरक धूप ||
मुग्ध भेलौं और धन्य भेलौं हम, देखि  रूप  अभिराम |
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम ||१ ||

मैया  सब  के  आशिष  द  क,  सबके  देलखिन्ह  नेह |
और  कहलथि  जे-  आइ एलौं हम,  नैहर अप्पन गेह ||
अही माटि के बेटी छी हम,   इहय  हमर  अछि  गाम |
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम ||२||

दंग- दंग हम केलों निवेदन-  जननी  ई  उपकार  करू |
धर्मक  नैया  डोलि  रहल अछि,  मैया  बेड़ा  पार  करू ||
ओ कहलथि-  हटि  जाउ पाप सँ, नीक भेंटत परिणाम |
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम ||३||

एहि के बाद शक्ति ई भखलनि- हम अहाँ के माली छी |
लेकिन  हमहीं  सीता - गौरी,  हमहीं  दुर्गा-काली  छी ||
जेहन  कर्म  रहत  ओहने  फल,  करब अहाँ  के  नाम |
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम ||४||

आखिर में जगदम्बा-जननी, सीता-रामक रूप लेलाह |
और प्रकाशपुंज बनिकयओ हमरे सब में उतरि गेलाह ||
देलथि ज्ञान जे - एक शक्ति के, छी हम ललित-ललाम ||
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा,  अयलथि मिथिला धाम ||५||

बाबू !  अब  त  बिसरि  जाउ  ई-  भेद - भाव   के   राग |
बेटा - बेटी,   ऊँच- नीच   और   छल - प्रपंच   के  दाग ||
नहिं  त आखिर अपने  भुगतव,  अपन  पाप  के  दाम |
सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम ||६||


सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम |
मिथिलावासी, जगदम्बा के,  उठि-उठि करथि प्रणाम ||



                रचनाकार- अभय दीपराज 

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण





मिले,
... श्रीमान्‌/श्रीमती/श्रीयुत्‌ ............................................
पता: ................................................................................
.......................................................................................
.......................................................................................

विषय: दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण

महोदय/महोदया,

उपरोक्त विषयमें अपने केँ सूचित करैत अपार हर्ष भऽ रहल अछि जे आजुक २१वीं शदीमें मिथिलाके युवा जनशक्ति जे आइ संसारके हर कोणमें पसरल छथि आ काफी प्रभावशाली योगदान दैत संसारके निर्माणमें व्यस्त छथि - हुनकहि जागृतिके इ सुखद परिणाम थीक जे ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नामके एक संस्थाके निर्माण भेल अछि जेकर मुख्य उद्देश्य केवल एतेक जे मिथिलामें माँगरूपी दहेज के प्रथाके समाप्त कैल जाय - मिथिलाके बेटी ऊपर इ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दुनू रुपें अत्याचार थीक; प्रत्यक्ष एहि लेल जे संतान सभ बराबर होइछ, जहिना लोक बेटाके पढाबयलेल अग्रसर छथि, तहिना बेटीके लेल सेहो छथि - तखन दू रंगके व्यवहार जे बेटाके विवाहमें बेटीवाला के त्यागके कोनो गणना नहि करैत माँगरूपी दहेज के थोपल जैछ। अप्रत्यक्ष अत्याचार एहि लेल जे दहेज के व्यवहार के कारण बहुतो माता-पिता अपन कन्याके उच्च अध्ययन सऽ वञ्चित रखैत छथि आ एहि तरहें मिथिलामें प्रतिभा रहितो मैथिलपुत्री बहुत पछुवायल छथि। जतय आजुक महिला संसारके उच्चतम्‌ शिखर माउण्ट एवरेस्ट सऽ लऽ के, राष्ट्रकवच सेनामें एवं विज्ञानके युगमें प्रखर प्रदर्शन करैत संसारके आगू बढाबयमें हर क्षेत्रमें अगुआ भूमिका निर्वाह कय रहल छथि ततय मिथिलाके बेटीपर दहेज के एहेन प्रहार छैक जे एक निश्चित सीमा तक मात्र पढाइ करैत छथि। उच्च शिक्षाके लेल हतोत्साहित होइत छथि। केवल विवाह एवं वर हेतु चिन्तित रहैत दहेजके व्यवस्थामें लागल थाकल परेशान मैथिल असल ऐश्वर्यके, रिद्धि-सिद्धिके एवं समुचित विकासके बहुत पैघ बाधक बनल छथि। एहि प्रतिकूलताके विरुद्ध छेड़ल मौलिकताके लड़ाईमें अपनेक सहयोगकेर आकाँक्षा रखैत इ पत्र प्रेषित कय रहल छी जे हमरा लोकनिक कार्य-प्रणालीमें मिथिलाके धरोहर जे लगभग हर गाम - हर इलाका में कोनो ने कोनो रूपमें अवश्य मौजूद अछि ताहि ऊपर एकजूट बनैत संरक्षण के कार्य कैल जाय - एहि में अपनेक सहयोग के अपेक्षा रखैत छी।

वर्तमानमें हमरा लोकनि सौराठ सभाके पुनरुत्थान हेतु जन-जागरण अभियानमें अपनेक सहयोग के याचना करैत छी। एहि सभाके जे पौराणिक शुद्ध संस्करण छल ताहिके पुनर्जागरण करयमें, दहेज मुक्त विवाह हेतु एवं विद्वत्‌ सभा जाहिमें मिथिलाके विकास हेतु आम चर्चा-परिचर्चा सेहो होइ आ लोक एकताके सूत्रमें बँधैत नव-नव-निर्माणके कार्यमें संलिप्त होइथ - ताहि लेल सालमें एक बेर सौराठ सभागाछीके पुनः जगायल जाय। एकर जागृति लेल अपनेक सहभागिता के अपरिहार्य आवश्यकता बुझैछ। संगहि जे पौराणिक परंपरा वैवाहिक अधिकार निर्णय कराबय हेतु पंजिकार द्वारा विगत पुश्ताके बीच कोनो प्रकार के रक्त सम्बन्ध जाँच कराबैत कैल जैछ एकर परित्याग कदापि नहि करै जाइ। सिद्धान्त लिखाबैक परंपरा पर सेहो सभ मैथिल ब्राह्मण जाग्रत रहैथ।

जानकारी दी जे एहि बेर सौराठमें श्री श्री १०८ श्री माधवेश्वर नाथ महादेवके मन्दिर जेकर निर्माण दरभंगा राज द्वारा करायल गेल आ जे आइ अत्यंत उपेक्षित अबस्थामें अछि, एकर जीर्णोद्धार हेतु दहेज मुक्त मिथिला कटिबद्ध अछि। अपने लोकनि सँ निवेदन जे एहि शुभ कार्यमें अपन यथायोग्य सहयोग निम्न खातामें अवश्य पठाबी।

खाताधारकके नाम :-सौराठ सभा विकास समिति एवं दहेज मुक्त मिथिला
खाताधारक बैंकके पता :- रहिका, मधुबनी , बिहार
खाताधारक बैंकके नाम :- भारतीय स्टेट बैँक
खाता नं. :- 31742944456
आई. एफ. एस. सी. कोड:- SBIN0005897

धन्यवाद,

सदस्य,
दहेज मुक्त मिथिला, पंजी भवन,
सौराठ सभागाछी, मधुबनी।
फोन: 09661042056..09135462251 .09279343090