हमरा लग रहब: ३
मिथलाक गाम घर : ओ हसी मालाक छलैक , शिलाक छलैक । कल्लू चौधरीक बेटी -- माला - शिला । पुरखा अई स्कूलक घर आ मैदान लेल जमींन देने छलथिन ।माटिंक ई भीत आ फूसंक चार कलुए चौधरीक दीआयोल छलैन । गुरूजी कालू चौधरीक संग हुनकर दुनु बेटियोक सरकारे कहैत छलखिन ।दुनूक सिट फ्राक लागैत छलैक - एक कात । घर स आसन आबैत छलैक ।कतेको दिन गुरूजी आपने स आसन बिछा अपन मैलका गमछा स ओकर गर्दा झारी देत छलथिन । शनि दिन के सेर भरी शनिश्चरी भेट जैत छलैन ।
गामक पूब धारक कछेर में स्चूलक घर छलैक - राधा मंदिर स पूब । अई मंदिरक पस्छिम्म में महादेवक मंदिर छलैक । दुनु मंदिर कलू चौधरीक पुरखा क बनाओल छलैन । तकर एबज में मंदिरक पूजेग्री अइयो हुनका सरकार कहैत छलैन ।पूजेग्रिके भाग्बानक भोग लेल दान कैल जमीन छलैक आ मंदिरक चारुकात फूलबारी , जाहि में लताम , अरर्नेबाक संग आम , लीची आ बलक गाछ सेहो छलैक । भगवानक मंदिरक भीतरी गाते पर कलू चौधरी आ हुनकर बापक फोटो सेहो टांगल छलैक ।
आ गामक बीचो - बिच कलू चौधरीक हबेली छलैन -- दूमहिला । पहिने तीन्म्हला छलैन । १९३४ केर भूकंप में ऊपरका हिस्सा धन्मना गेलें , २-३ टा जानो लेलकैन , मुदा बाकी हिस्सा अइयो सूरक्षित छलैन । पलस्तर जहा - तहा झारी गेल छलैक , मुदा हबेलिक भाब्य्ता अखनो बरकरार छलैक ।
हबेलिक आगू में एक टा बरकी फोखरी भीर पर चारुकात बसल लोक सबहक घर । किछु खपरैल आ बाकि सभ पक्का , कलू चौधरीक देयाद सभक । गामक बाकी लोक सभ आन - आन टोल में । उतर बारि टोल आ दक्छिन बारि टोल हिनके सबहक भागिन्मानक आ पछबारी टोल में किछु दियाद आ बेशी पूर्णा जमिन्दारक लागूया - भिरूआ लोक सबहक परिबार , भनसिया - जिरातिया सभ हक़ । ओही टोल में प्रनवकमामक टाटक एक टा घर । घर में एक टा कोठी , दू चारी टा थारी - बाटी । ओश्रा पर एक टा दू चूलिहा भानासक लेल । बारी में एक टा लताम , एक टा अरर्नेवा , एक टा दारिम । आ एकटा बीजू आमक खूब झ्मत्गर गाछ । ओही बारी में छाह तर बान्हल महिस आ करिचक टाट स घेरल आँगन में एक टा तुलसिक गाछ , बिच में आ टाटक काते - कात गेंदा आ बलिक गाछ । टाट पर किछु लती । आँगन ओसारा खूब चिक्कन , निक जेका निपल ।
अई घर - घ्रारिक अलावा मुन्नर झा के , प्रणवक मामा के , १० कट्ठा जमीं छलैन बाध में , सेहो कलू चौधरीक बापक देल । मुन्नर झांक बाप दरबार में भनसिया छलथिन , सबा बीघा जमीं भेटल छलैन । हुनकर मुइंनाक बाद १५ कट्ठा छिनी लेलथिन कलू चौधरी , आ आब बच्लोहो १० कट्ठा पर आँख गरल छलैन ।
मुदा दूनू बहिनिक आखी त ओही स बेसी गरल छलैक प्रणव पर । स्कूल में ५ बरख स ओकरे क्लास में छलैक दुनु , आ ओकर उपहास करबाक कोनो अवसर छोर: नहीं चाहैत छलैक । खलिए देहे स्कूल आओत प्रणव , दुनु बहिन आखी चिआर क देख्तैक आ फेर खिल- खिला क हाश टैक । आरो किक टा छौरा खाली देहे स्कूल आबैत छलैक मुदा कहां कियो हसित छलैक ओकरापर ? मुदा माला - शिला त ओकरा हिन् भाव स ग्रस्त क देने छलैक । दुनु स परायल फिरैत छल प्रणव , मुदा ओ दुनु अरिबैध क ओकर सभ टा गतिबिधिक थिकियौने रहैत छलैक । किताब लेल मारी लागौक - त खिल - खिल , शनिश्चरी ले मारी लागौक त - त खिल-खिल
मुदा काज परला पर दुनु एक दम मोलायम बनी जैत छलैक । स्कूलक हाता में जखन मोंछ तोर्बाक हेतैक , दुनु बहिन संघी घेर लेतैक - थोरे हाम्रो लेल तोरी दे ...। आ प्रणव सभ जीत छलैक आ कटहरक फुनगी पर चढ़ी क दुनु लेल मोंछ तोरी देत छलैक , स्चूलक पछोआर में जे तेत्रिक गाछ छलैक , ताहि पर चढ़ी तेतरी तोर देत छलैक । माला --- माखन सन चिकन , बाही छोआइत देरी चटाक द चाट मारी देलकैक गाल पर -- सख ने देखू , हमर देह छोटा । मखानक पात स मूह पोछी आ पहिने ।
तहियास डेरा गेल प्रणव । माला त चंथ छलैक , शिला कम नहीं । ओना देखबा में दूबरी - पातरी छलैक शिला , रंगों कन्नी बर्की बहिन स कम्मे आ हाथो- पयर गूल - गूल नहीं । पातर - छरहर हाथ पैर , मुदा आँखी बर पिघ - पिघ , कोआ सन डग-डग करैत । पातर ठोर आ कनेक उथल सन नाक । बर्की बहिनक केश छोट-छोट मुदा घुग्रू सन , आ छोटकी के केश बर घनगर आ पिघ । लग आयला पर गम्कुआ सुगंध लागला पर कतेको बेर प्रनवक इक्छा भेलई जे पूछैक जे की लगबैत छै केश में ? मुदा फेर गाल पर लागल चटा मों पर्लैक आ दर भेलैक जे दोसोरो बच्लोहो गाल पर छोट्कियो तेहने चटा लगा देतैक ।
राधा कृष्णक पूबारी कात ठीक स्चूलक हाताक बहार दक्छिन में बरका बरक गाछ छलैक -- एकदम चतरल । कियो ऊपर बैठिक भीतर झोज में बैसी रहय त पतों भेटनाई मुस्कील । बीचो बिच , ठीक जारिका सोंझ में एक टा दू कान्हा छलैक - छोट छीन असनानी चौकी जेका । जखन कखनो प्रणव उदास होइत छ्लैका एकसार सूत्बाक मों होइत छलैक , ओही दुकन्हा पर सूती रहैत छल । ओहो दिन ओताही जा परी रहल । कतेक बेर कंबो कयलक । अपनों कोनो कारण नहीं भूझ्लैक । एकटा चाट म कोण एहन दुनिया उनती गेलिक ? गुरूजी त सभ दिन खल्री ओदार्बे करैत छलखिन ।
१० बरखक प्रणव लेल ओही दिन मात्र एकांत में नूका क कानी लेबाक अतिरिक्क्त आर कोनो उपाय नहीं छलैक । गुरूजी के कहला पर एक चाटक संग २५-५० छारी सेहो सह परतैक । मामा स कहला पर सेहो किछ नहीं हेतैक । सभ टा सुनी मामा बुक बनल ठाढ़ रहथिन , कलू चौधरीक दरबाजा पर जा उपराग देबाक साहाश नहीं हेतैन - बच्लो -खूच्लो १० कठा ऊस्राह जमीं जे देने छाथिन सेहो छिना जय्तैन , गाम में रहब मुस्किल भ जैतन, मामी सूनिक छाती पित्थिन, चूपो नहीं रहथिन , कलू चौधरीक समस्त खानदान के गारी सराप स तर क देथिन , मुदा अपने अंगना स , अई स निक त यह छलैक जे चाट खा क चुप - चाप बरक गाछक दुकन्हा पर सूतल रहे , मोनक तामस आ आगि केर मिझ्बैत रहे ।
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