dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012


मिथिलाक गाम घर :


गामक छठ पूजा :3

मिथिलाक गाम घर  :  एक दिनक गुप अछि । हम हाथ में साबुन ल बाबा पोखरी दिश अश्नान करबाक उदेश्य स बिदा भेलहु । हम जखन पोखरी केर घाट पर पहून्च्लाऊ त ओही थाम मन्नू , सोनू , आ मन्नू केर छोट भाई कपरा फिची रहल छल । ओ लोकिन कोनो दोसर मुदा पर चर्च क रहल छलाह ।  नहीं जानी कोना ने कोना छठ पाबैन केर गुप होमअ लागल ?  सोनू कहलक भेजी एक टा गप कहू ? जखन बजरंग बली ठान में ओर्चेशत्रा आओत त अहि ठाम टीवी -सीडी देखैक लेल के रहत ।
हम कहलियैक सोनू गप त तोहर १६ आन्ना ठीक छोऊ , मुद्दा हम वा तू ओही में की क सकैत छियैक ? मन्नू कहलक जे की भाईजी एना नहीं भ सकैत अछि जे की , हम हूँ सब गोते अपना घाट पर किछु छोट - चीन प्रोग्ग्रमक आयोजन करी । आयोजन त क सकैत छियैक मुद्दा मानू एक टा गप कह , सब गोते चन्दा देथूं वा नहीं ?

ताबत एक टा बृध बाबा घाट पर अछिन्जल लेबाक हेतु आयल छलैक । ओ हमारा लोकिन केर गप सूनी उत्तर देलखिन ।

भरी गाम स मंग्बाक कोण प्रायोजन , आहा लोकनी हुनके सब स  चन्दा मांग योक जिनकर - जिनकर घाट अहि पोखरी पर होइत अछि । हुनकर इ कथन सब गोते केर बार निम्मान्न लागल ।

हम सब गोते अस्नान कैलो आ अपन -अपन आँगन चली आइलाऊ । ताबत धरी अहि गप केर निर्णय नहीं भेल जे की प्रोग्ग्रमे होयत  वा नहीं ।


मानू केर घर आ हमर घर एकदम सत्ताल अछि ।  हम अपन आँगन में बैसी भोजन क रहल छलौ की मानू दालान पर स हमरा शोर कैलक । भाईजी आँगन में छि की नहीं ? हम खाइते - खाइत ओकरा चिकार्लियैक । मानू हम आंगन में छि , आब अ ने की बात अछि ? की सोचलियेक ? किछो छान चुप रहबाक बाद हम कहलियैक देख मन्नो एना काम नहीं चलताऊ, सब स पहिने एक टा काम कर । से की भाईजी  ? ओ हमारा दिश ताकैत बाजल । एक टा कागज़ - कलम ल क एक टा लिस्त्व बना जाही में ओही सब घर केर नाम हेबाक चाहि  जिनकर - जिनकर घाट बाबा पुकारी पर होयत अछि । ठीक छाई भाईजी हम राती भर में अहि काज केर संपन्न क लेब आ भिनूसर्बा में  अपनेक स भेट करब । ई गप कही मानू हमरा आंगन स चली गेल । मानू केर आंगन स गेलाक उपरान माँ हमरा समझाब - बूझाब लागली । ओ कहलें जे की देख गामक बार खाराप अछि । आहा सब काठी केर लेल अहि पचरा में परैत छि । हम माँ केर गप पर कोनो ध्यान नहीं देलऔ आ आंगन स चुप - चाप बाहर भ गेलोऊ ।

कोई टिप्पणी नहीं: