dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

Mithila ke dharohar Bhairab Baba

स्थापना -
Bhairav Baba  Bhairv sthan 
          https://youtu.be/8d6bAxJOE_g 

 एक समय के  बात  अछि , विश्वामित्र जी  राम - लक्ष्मण  संग जखन  मिथिला  भ्रमण  के लेल जायत छलैथ , विस्वामित्र  जी  दू  दिन  अपन  बोहिन कोशी  के ओहिठाम  रुकल  छलैथ , ओही  समय  में  महादेव के छः महा कल रूप  में से  एगो  भैरव महादेव  के  स्थापना  केलैन , ओही दिन से  भैरव  बाबा के नाम  पूरा  मिथिला  में  प्रशिध्ह भगेलैन ,

  क्षेत्र  हिमालय पाहार के नजदिक रही के कारन , बढ़ी के नगरी  कहल  जायत  अछि , लोग सब के माननाय अछि जे , बेर - बेर  बढ़ी ऐला सं भैरव  बाबा के लिंग मईटिक तर  में  समा गेला ,

भैरव बाबा के जागृत  होय के कहानी  ---

(शिवरात्रि  में  पूजा  करैत  भक्त लोकेन )

 
                                ( मनोकामना पूर्ण भेला के  बाद  बाबा के   दर्शन करैत  भक्त  लोकैन )

कई बरस  बीत गेल , लिंग  के नामो  निसान मिटा  गेलमुद्दा शिव  भोले  संकर के भक्ति से नील गाय माँ के सहारे फेर से भैरव पुनः जागृत  भेला , सब  दिन  संझ भोर  गो माता ,  भैरव  बाबा के लिंग  के ऊपर आबि  के अपन स्तन  के दुध्ह  समर्पित  करैत छली , दृश्य अपन आईखी से  गमक  एक दुटा लोक देखलक , एक कान से दोसर कान सुनते  पूरा इलाका  में  शोर भगेल ,

एतबा में  गनबायर के रजा के सेहो  पता  चली  गेलेन ,  अपन सेना  दल के संग आबी के, ओही  घनघोर  जंगल  में से बाबा  भैरब  के लिंग  के खोदअ  लागला ,. जे अहि  लिंग के लके  हम अपना  ओहिठाम  स्थापना  करव , खोद्त- खोदत साँझ  परी  गेल  , लिंग ही थम से  निक लय के  नाम  नही लेत छल , छोरीक  सब आदमी वापस  चली गेला  कहिके जे हम सब फेर कालिह आबैत  छि ,

अगिला दिन जखन  राजा  एलायथ  त् बता  ओही गामक एगो ब्रिधि  बय्क्ति  ओही    राजा के   बता देलखिन , ओही दिन से ओही राजा के दुवारे भैरब बाबा के मंदिर निर्माण  कार्य  प्रारंभ  भगेल , ओही दिन  से क्षेत्र  बाबा  भैरव  के  नगरी  कहाबाई  लागल , जाकरा सब  भैरव स्थान  के नाम  से  जानैत अछि ,

ओही  दिन से  बाबा भैरव  के प्रागण में  १००० के संखया  में दर्शन यात्री  आबैत  छैथि  और  अपन  मनो कामना  पूर्ण  करैत  छैथि ,जिनका दिन में  समय  नही मिलैत  छैन   ब्यक्ति  संध्या  समय  आरती के आबिके  के अपन  मनोरथ  पूरा करैत  छैथ,

सावन में और  फागुन के शिवरात्रि के दिन  दूर -दूर  से  जल  लके बाबा भैरब  के  समर्पित  करैत  छैथ ,और अपन  जीवन  के सार्थक  बनाबैत  छैथ ,---

बाबा भैरव  के दुवार --
 ( भैरब बाबा के  संध्या  आरती में  लीं  भक्त  लोकइन )
मधुबनी और  झांझरपुर  पथ  के  अर्न्तगत  में स्थापित  अछि , बाबा भैरव  के मंदिर  विदेस्वर  स्थान  से किलो मीटर  उत्तर  और भगवती पुर से १० किलोमीटर  दक्षिण -पुरव , लोहट चीनी मिल से १२ किलो मीटर पुरव , और कमला  नदी से  किलो मीटर  पछिम  में  स्थित  छैथ ,
(बजरंगवली  मंदिर  निर्माण  कल  में )


       बाबा भैरव के नजदीक  बसल  गाम -घर

                      मेहथ , समया  , महिनाथ पुर

पट्टीटोल , कोठिया ,                                                            हेठी ,वाली , नरवार
भराम, नबटोल,नारायण पुर                            रूपाली , जमथैर, लोहाना

                    रैयाम   , कथना मोहन पुर , विहनगर 

(यात्री  शुविधा   लेल  , बैठक स्थल )



         प्रेम से--- बाजु  भैरव  बाबा की  जय


(अपनेक  सब पाठक  गन से  विनम्र   निबेदन  जे  एक  बेर  जरुर  आबी  अहि  तीर्थ  स्थल पर )

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

विद्यापति स्मृति पर्व समारोह काल्हि सं पटना मे

पटना काल्हि सं तीन दिन धरि मिथिला संस्कृति सं सराबोर रहत। सहभागी लोकनि मैथिली गीत-संगीतक संगहि तिलकोरक तरुआ, सकरौरी, साम आ मखानक खीर कें आनंद ल सकताह। प्रतिष्ठित मैथिली संस्था चेतना समिति के तत्वाधान में काल्हि सं 57म विद्यापति स्मृति पर्व समारोह शुरू भ रहल अछि । एहि मे मिथिला केर सांस्कृतिक संपन्नता करीब सं देखबाक अवसर भेटत।
चेतना समिति के अध्यक्ष विजय कुमार मिश्र कें कहब छन्हि जे पहिल दिनक कार्यक्रम विद्यापति भवन में आयोजित हएत। उद्घाटन करताह पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र आर पटना उच्च न्यायालय कें न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र मुख्य अतिथि रहतीह। दोसर दिन भोरे दस बजे सं विद्यापति भवन में 'मैथिली बाल साहित्य : स्थिति एवं संभावना' विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित हएत। दोसर दिनक मुख्य कार्यक्रम अभियंत्रण सेवा संघ के प्रांगण में हएत। तेसर दिन एही प्रांगण में भोरे दस बजे सं बाल मेला आर दुपहर तीन बजे सं आनंद मेला आयोजित हएत। तेसर दिनक मुख्य कार्यक्रम केर उद्घाटन बिहार विधान परिषद के सभापति पं. ताराकांत झा करताह। ओकर बाद अरविन्द कुमार अक्कू लिखित 'झिझिर कोना' नाटक खेलाएल जाएत जकर निर्देशन कएने छथि कौशल कुमार दास। एहि बेर त्रिलोकीनाथ मिश्र कें संस्कृत भाषा साहित्य, रामदेव झा कें मैथिली भाषा साहित्य, रमा दास कें संगीत-नृत्य-नाटक सम्मान, विमला दत्त कें मिथिला चित्रकला सम्मान, गणपति मिश्र कें विशिष्ट सम्मान, भाग्य नारायण झा कें चेतना सेवी सम्मान आर महाप्रकाश कें कीर्ति नारायण मिश्र साहित्य सम्मान देल जएतनि। एतबे नहि, डा. ताराकांत झा वियोगी कें यात्री चेतना पुरस्कार, प्रभा मेमोरियल ट्रस्ट कें सुलभ समाज सेवा आ ऋषि वशिष्ठ कें डा. महेश्वरी सिंह 'महेश' पुरस्कार सेहो देल जएतन्हि। श्री मिश्र महाकवि विद्यापति केर जयंती कें पहिल बेर राजकीय समारोह के तौर पर मनएबा लेल राज्य सरकार के प्रति आभार प्रकट कएलनि अछि। हुनकर आग्रह छन्हि जे मैथिललोकनि बेसी सं बेसी संख्या मे एहि समारोह में शामिल होथि।

फ़िल्म जगत पर अपनेक स्वागत अछि।

रविवार, 14 नवंबर 2010

एकटा त ओ छलीह

एकटा तऽ ओ छलीह।

कनैत छलहूॅं माए गे माए-बाप रौ बाप
हे रौ नंगट छौंड़ा रह ने चुपचाप
नूनू बाबू कऽ ओ हमरा चुप करा दैत छलीह
एकटा तऽ ओ छलीह।

बापे-पूते के कनैत छलहूॅं कखनो तऽ
ओ हमरा दूध-भात खुआ दैत छलीह
बौआक मूहॅं मे घुटूर-घुटूर कहि ओ
अपन ऑंखिक नोर पोछि हमरा हॅसबैत छलीह।

खूम कनैत-कनैत केखनो हम बजैत छलहूॅं
माए गे हम कोइली बनि जेबउ
नहि रे बौआ निक मनुक्ख बनि जो ने
आओर कोइली सन बोल सभ के सुनो ने।

केखनो किछू फुरायत छल केखनो किछू
नाटक मे जोकर बनि बजैत छलहूॅं बुरहिया फूसि
मुदा तइयो ओ हॅंसि कऽ बजैत छलीह
किछू नव सीखबाक प्रयास आओर बेसी करी।

रूसि कऽ मुहॅं फुला लैत छलहूॅं
तऽ ओ हमरा नेहोरा कऽ मनबैत छलीह
कतो रही रे बाबू मुदा मातृभाषा मे बजैत रही
अपना कोरा मे बैसा ओ एतबाक तऽ सीखबैथि छलीह।





मातृभाषाक प्रति अपार स्नेह गाम आबि
नान्हि टा मे हुनके सॅं हम सिखलहूॅं
गाम छोड़ि परदेश मे बसि गेलहूॅं
मुदा मैथिलीक मिठगर गप नहि बिसरलहूॅं।

अवस्था भेलाक बाद ओ तऽ चलि गेलीह ओतए
जतए सॅं कहियो ओ घूमि कऽ नहि औतीह
मुदा माएक फोटो देखि बाप-बाप कनैत छी
मोन मे एकटा आस लगेने जे कहियो तऽ बुरहिया औतीह।

समाजक लोक बुझौलनि नहि नोर बहाउ औ बौआ
बुरहिया छेबे नहि करैथि एहि दुनियॉं मे
तऽ कि आब ओ अपना नैहर सॅं घूरि कऽ औतीह
मरैयो बेर मे बुरहिया अहॉं कें मनुक्ख बना दए गेलीह।

बुरहियाक मूइलाक बाद आब मइटूगर भए गेल किशन’
ओई बुरहिया के हम करैत छी नमन
अपन विपैत केकरा सॅं कहू औ बौआ
कियो आन नहि ओ बुरहिया तऽ हमर माए छलीह।


लेखक:- किशन कारीग़र


परिचय:- जन्म- 1983ई0(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार राय ‘किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय ‘नन्दू’ माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

छैठ परमेस्वरिक गीत

छैठ परमेस्वरिक गीत - १. 
मैया  हे  छैठ  मैया ---


छैठ परमेस्वरिक गीत - २.
सूप लेने ठाड़ -----

   
छैठ परमेस्वरिक  गीत , पवन  सिंह के संग ---

छैठ परमेस्वरिक गीत  , शारदा  shinhan

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

अन्तराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन काठमाण्डौ मे २२ आ २३ दिसम्बर २०१०

  अन्तराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन काठमाण्डौ मे २२ आ २३ दिसम्बर २०१० केँ श्री रामभरोस कापड़ि "भ्रमर"क संयोजकत्वमे आयोजित भऽ रहल अछि। श्री कापड़ि नेपाल प्रज्ञा संस्थानमे मैथिलीक प्रतिनिधित्व कऽ रहल छथि आ ई साहित्य क्षेत्रमे नेपालक सभसँ पैघ प्रतिष्ठाबल पद अछि ओहिना जेना भारतमे "साहित्य अकादमीक फेलो" होइत अछि।
२२ दिसम्बर २०१० केँ ई आयोजन नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, कमलादी, काठमाण्डौ आ २३ दिसम्बर २०१० केँ अग्रवाल सेवा केन्द्र, कमल पोखरी, काठमाण्डौमे आयोजित होएत। दुनू दिन आवस आ भोजनक व्यवस्था ग्रवाल सेवा केन्द्र, कमल पोखरी, काठमाण्डौमे रहत।