dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

सोमवार, 30 मार्च 2020

ऊँच पहाड़ी तोहर भवन ।। गीतकार - रणजीत झा




ऊँच पहाड़ी तोहर भवन हेतै
  हमरो मैया तोहर दर्शन हेतै ।
एहन सुन्नर जिनगी चमकते
        जखन भवानी तोहर दर्शन हेतै ।।

    कटरा सँ दर माँ के पैदल जेबै
      बाण गंगा सँ नहाकS हम एबै ।
      अर्द्धकुमारी में जा विश्राम करबै
        तखन भवानी तोहर दर्शन हेतै ।।

एहन सुन्नर जिनगी चमकते
       जखन भवानी तोहर दर्शन हेतै ।।

      चलैत चलैत माँ जयकारा लगेबै
        हाथी मत्था पर घड़ी  साँस लेबै ।
    मून में माँ तोहर मूरत समायल
          व्याकुल नैना के तृष्णा मिट जेतै ।।

एहन सुन्नर जिनगी चमकते
        जखन भवानी तोहर दर्शन हेतै ।।

      सांझी छत सँ मैया के निहारब
      भरल नोर सँ मैया के पुकारब ।
      भैरो मंदिर मुनक आशा पुरायब
        सबटा दुःख भवानी हइर लेतै ।।

  एहन सुन्नर जिनगी चमकते
         जखन भवानी तोहर दर्शन हेतै ।।

      गीतकार - रणजीत झा ,

शनिवार, 21 मार्च 2020

पुरुबक बेटी जखन पच्छिम बियाहल गेल ।। रचना - संजना झा




पुरुबक बेटी जखन पच्छिम बियाहल गेल 
त नाम ओकर पुरवहिनी भेल 
अहि जनम में दोसर जिनगी देल गेल 
सब रीति कुरीति ओतहि रहि गेल 
स्वप्नक लोक स 
इ मोन आब बाहर भ गेल 
दुलारक आह्लादित नाम पुरवहिनी भ गेल 
नेबोक ठाढ़ि जँका 
जैर कतरी आन गाछ 
जाहि सॅ बान्हि कलम लगाओल गेल 
तहिना इहो धिया अनचिन्हार 
गाछ सॅ बान्हल गेल 
आब पुरना भाष करेजे में रहि गेल 
नाम जखन पुरवहिनी भेल 
सबटा शब्द परिवर्तित भ गेल 
अनचिन्हार आखरक जट्टा बनि गेल 
निशब्द भय पुरवहिनी अपन डेग 
उठबैत चलि गेल 
बुझि ने परल कहिया पुरवहिनी 
पूर्णरूपेण पच्छ्मिनी भ गेल 
संजना झा 21-3-2020

कह कन्हैया की करैत छी।। रचनाकार - कन्हैया आशुतोष




की कुशल मंगल,कोना रहैत छी
कह कन्हैया की करैत छी।
पुछैत छथिन सब हमरा सs,
कुन कारण, व्यस्त रहैत छी।।

बिसैर गेलs  गाम के रस्ता
खोजे  रहल यै बच्चा बच्चा,
काका-काकी सब बाट तके  यै ,
कहिया आएत हमर लुच्चा।।
कहिया आएत हमर लुच्चा।।

आखिर कियै............

नै किछु सनेस चाही
नै तोहर एको टक्का,
एक बेर आबs गाम बेटा
प्रेम सs कैहs दै कक्का।।
प्रेम सs कैहs दै कक्का।।

हम सब तs भाब के भूखल,
चाही स्नेह के सिक्का,
जतेक प्रेम से कोरा खेलेलौं
जुराबिहs हमरो करेजा।
जुराबिहs हमरो करेजा।।

कुनु भरोस नै ई जिनगी के
की हेतs कहिया,
रैह जेतs ठामे सब किछ
हम नै रहबs तहिया,
 हम नै रहबs तहिया।।

पैढ़ लिख विद्वान बनलs
खूब कमाबs रुपैया,
आसिष ,हमर सब के
बनियs बाबु भईया।।
बनियs बाबु भईया।।

माय- काकी, बाप-काका में
कुनु फरक नै बुझिहs,
बुढ बुजुर्ग के सेवा करिहs
दनदनाबैत रहियs।
दनदनाबैत रहियs।।

दुइ पल हमरो भेंट होहिय
गाम एबह तू जहिया,
जे सबहक सम्मान करे
ओकर नाम कन्हैया।
ओकर नाम कन्हैया।।

*केहेन लागल जरूर लिखब।*
      *अहाँ के स्नेहाशीष*
             *कन्हैया*