dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

गजल


अन्हारक की सुख बुझथिन इ इजोतक गाम मे सदिखन रहै वाला।
दुखे केँ सुख बना लेलक करेजक घातक दुख चुपे सहै वाला।

जमानाक नजरिक खिस्सा बनल ए आब तऽ करेज हमर सुनू यौ,
हुनकर नजरि कहाँ देखलक हमर करेजक इ शोणित बहै वाला।

कहै छै लाजक नुआ मे मुँह नुकौने रहल दुनियाक डर सँ अपन,
इ रीत अछि दुनियाक, तऽ एतऽ किछ सँ किछ कहबे करतै कहै वाला।

करू नै प्रकट अपन सिनेह मोनक, यैह हमरा ओ कहैत रहल,
किया हम राखब उठा केँ समाजक जर्जर रिवाज इ ढहै वाला।

अहाँ डेग अपन उठेबे करब कहियो हमर मोनक दुआरि दिसक,
बहुत "ओम"क बहल नोर, दुखक गरम धार मे गाम इ दहै वाला।
मफाईलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) ५ बेर प्रत्येक पाँति मे।

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