dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

Bihar Me ki chhai ? Kislay Krishan

 बिहारमे की छै ?

नेता छै, लाठी छै

लोके छागर-पाठी छै

जही टोल पर नजरि उठेबै

हेंजक हेंज कविकाठी छै....

बिहारमे की छै ?

विधायक सब गोल छै

सांसद बकलोल छै

चौके-चौके सह-सह करइत

जनता फूटल ढोल छै ....

बिहारमे की छै ?

तरुआ-तिलकोर छै

मारा माछक झोर छै

उज्जर दपदप कुर्ताधारी

कुल्लम नेता चोर छै ....!

बिहारमे की छै ?

पाबनि-तिहार छै

स्वागत सत्कार छै

नित्तह चलै कुमारिए भोजन

लेकिन बेटीके चित्कार छै ...!

बिहारमे की छै ?

चमकी बोखार छै

तंत्रो लाचार छै

पोस्टर सभतरि तैयो भेटत

'बिहारमे बहार छै ...... '

बिहारमे की छै ?

आमदनी कम आ फुटानी 

बड छै

बिहार मे की छै ...

जनता कम नेता अथाह छै

बिहार मे की छै

Writing  - Kislay Krishan 

      ◆◆◆

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

भोजन के प्रकार

 भीष्म पितामह ने अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन न करने के लिए बताया था ...

पहला भोजन ....

जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है ...!

दूसरा भोजन ....

जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई,पाव लग गया वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होता है ....!

तीसरे प्रकार का भोजन ....

जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होता है ....

चौथे नंबर का भोजन ....

अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है .....

और सुनो अर्जुन अगर पत्नी,पति के भोजन करने के बाद थाली में भोजन करती है उसी थाली में भोजन करती है या पति का बचा हुआ खाती है तो उसे चारों धाम के पुण्य का फल प्राप्त होता है ..

अगर दो भाई एक थाली में भोजन कर रहे हो तो वह अमृतपान कहलाता है

चारों धाम के प्रसाद के तुल्य वह भोजन हो जाता है ....

और सुनो अर्जुन .....

बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में तो उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ....

क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है ! इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें ! क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं ...!

 संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है ...

"सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए ... 

पर संस्कार नहीं दिए तो वे जीवन भर रोएंगे