dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

गजल
कतय भेटत एहन प्रेम जे मीत अहाँ देलौं
मित्रताक कर्मपथ पर मोन जीत अहाँ लेलौं
स्वार्थक मीत जग समूचा,मोन मीत नहीं कियो
धन्य सौभाग्य हमर मोन मीत बनी अहाँ एलौं

स्वार्थक मेला में भोगलौं हम वर वर झमेला
हर झमेला में बनिक सहारा मीत अहाँ एलौं

मजधार डूबैत हमर जीवनक जीर्ण नाव
नावक पतवार बनी मलाह मीत अहाँ एलौं

निस्वार्थ भाव अहाँ मित्रताक नाता जोड़ी लेलहुं
हर नाता गोटा सं बड़का रिश्ता मीत अहाँ देलौं

नीरसल जिन्गीक हर क्षण भेल छल उदास
उदास जिन्गीक ठोर पर गीत मीत अहाँ देलौं

संगीतक ध्वनी सन निक लगैय मीतक प्रीत
कृष्ण सुदामाक प्रतिक बनी मीत अहाँ एलौं
...............वर्ण:-१८.....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: