जुड़-शीतल
जुड़-शीतलमे जीवन जुड़ा लिअ यौ
जुड़-शीतलमे जीवन॥
साल नव मैथिलीक शुभागमन भेलै
नूतन नवल रुप सगरो जहान भेलै
स्वागत सम्मान मान राखि लिअ यौ
पूत मिथिलाक नन्दन॥
तरुवरमे द्रुमदल सेहो जुआन भेलै
नव अन्न दलहन आँगन-दलान एलै
शीतल सातुकेँ शर्बत बना लिअ यौ
खूब तिरपित रहत मन ॥
ताजा-बसियाकेँ भोजन विधान भेलै
बेसनकेँ फेँटि बड़-बड़ी बनौल गेलै
आम टिकुलाक चटनी बना लिअ यौ
भोग स्वादिष्ट भोजन॥
गाम-घर पोखैर, इनारो सफाई भेलै
तुरियाक संग थाल-कादो लेपाइ भेलै
प्रेम चासैत-समारैत-गजारि लिअ यौ
गीत गाबय मगन मन॥
बाँसक दू खुट्टा पर बल्ली लगौल गेलै
तुलसीचौड़ामे पानिसल्ला बनौल गेलै
देव-पितरकेँ अछिंजल चढ़ा लिअ यौ
रहब सानन्द जीवन॥
जुड़-शीतलमे जीवन जुड़ा लिअ यौ
जुड़-शीतलमे जीवन॥
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जुड़-शीतलक हार्दिक शुभकामनाक संग विनय कुमार ठाकुर (ठाकुर परिवार )