||कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल ||
गूँजि उठल वसुधा, कि अम्बर सँ टुटल
कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल
चललि छी पानिक नदिक हम तीरे
कीयक मोन विस्मित ,भेल स्थूल सरीरे
दूनू चक्षु चंचल , केकर बाट जोहय
के मन एकाकी , एका एक मोहय
अंजान पथ पर , रुकलि बनि बता हे
के पैर दूनू , देलक रोकि राहे
सकल शर्म लज्ज्या,के हमर आई लूटल
कतय सँ ई मुरलिक मधुर गीत उठल
किरण आब साँझक , देखाक डूबैया
निशा कृष्ण पक्षक सेहो छूबैया
चरवाह वन सँ अपन वाट धेलक
चीड़इ सब खोता , अपन आब लेलक
रहब हम ठाढहि , काहाँ सुधि हेराओल
के ई हमर चित्त छन में चुराओल
कलश काँख तर में,परल अइ की फूटल
कतय सँ ई मुरलीक ,मधुर गीत उठल
के छी ? काहाँ छी ? हमर प्रार्थना अइ
करू बन्द मुरली , हमर अर्चना अइ
विलम्बक कथा , गृहि कहब की बचाबू
निर्दोष हम छी , नै हमरा नचाबू
आहाँक गीत मुरलीक, हृदय हमर छूबि गेल
उमरि परल धार मधुर अमृत सार चुबि गेल
तृषित प्यास पानिक , हमर सब छूटल
कतय सँ ई मुरलिक मधुर गीत उठल
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
गूँजि उठल वसुधा, कि अम्बर सँ टुटल
कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल
चललि छी पानिक नदिक हम तीरे
कीयक मोन विस्मित ,भेल स्थूल सरीरे
दूनू चक्षु चंचल , केकर बाट जोहय
के मन एकाकी , एका एक मोहय
अंजान पथ पर , रुकलि बनि बता हे
के पैर दूनू , देलक रोकि राहे
सकल शर्म लज्ज्या,के हमर आई लूटल
कतय सँ ई मुरलिक मधुर गीत उठल
किरण आब साँझक , देखाक डूबैया
निशा कृष्ण पक्षक सेहो छूबैया
चरवाह वन सँ अपन वाट धेलक
चीड़इ सब खोता , अपन आब लेलक
रहब हम ठाढहि , काहाँ सुधि हेराओल
के ई हमर चित्त छन में चुराओल
कलश काँख तर में,परल अइ की फूटल
कतय सँ ई मुरलीक ,मधुर गीत उठल
के छी ? काहाँ छी ? हमर प्रार्थना अइ
करू बन्द मुरली , हमर अर्चना अइ
विलम्बक कथा , गृहि कहब की बचाबू
निर्दोष हम छी , नै हमरा नचाबू
आहाँक गीत मुरलीक, हृदय हमर छूबि गेल
उमरि परल धार मधुर अमृत सार चुबि गेल
तृषित प्यास पानिक , हमर सब छूटल
कतय सँ ई मुरलिक मधुर गीत उठल
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
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