dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल

           ||कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल ||
                                 


     गूँजि उठल वसुधा, कि अम्बर सँ टुटल
     कतय सँ ई  मुरलीक  मधुर गीत  उठल
     चललि  छी  पानिक   नदिक  हम  तीरे
     कीयक मोन विस्मित ,भेल स्थूल सरीरे
     दूनू  चक्षु  चंचल ,   केकर  बाट  जोहय
     के  मन  एकाकी ,    एका  एक  मोहय
     अंजान  पथ  पर , रुकलि  बनि बता हे
      के    पैर   दूनू  ,     देलक   रोकि   राहे
     सकल शर्म लज्ज्या,के हमर आई लूटल
     कतय  सँ  ई  मुरलिक मधुर  गीत  उठल
     किरण  आब  साँझक ,  देखाक   डूबैया
     निशा    कृष्ण     पक्षक    सेहो    छूबैया
     चरवाह   वन   सँ    अपन   वाट   धेलक
     चीड़इ  सब  खोता , अपन  आब  लेलक
     रहब  हम  ठाढहि ,  काहाँ सुधि हेराओल
     के   ई   हमर   चित्त   छन   में   चुराओल
     कलश  काँख  तर में,परल अइ की फूटल
     कतय  सँ  ई  मुरलीक ,मधुर  गीत  उठल
     के  छी ?  काहाँ  छी ? हमर  प्रार्थना अइ
     करू  बन्द  मुरली   ,   हमर  अर्चना  अइ
     विलम्बक  कथा , गृहि  कहब  की बचाबू
     निर्दोष   हम   छी   ,    नै   हमरा   नचाबू
     आहाँक गीत मुरलीक, हृदय हमर छूबि गेल
     उमरि परल धार मधुर अमृत  सार चुबि गेल
     तृषित प्यास पानिक  ,  हमर सब छूटल
     कतय  सँ  ई मुरलिक  मधुर  गीत   उठल
     
                             रचयिता
                   रेवती रमण झा "रमण"
                        

कोई टिप्पणी नहीं: