dahej mukt mithila

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गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

हमहू पढ़बै (बाल कविता)

😊हमहू पढ़बै (बाल कविता)

हमहू पढ़बै
जानू ने

पाटी कीनि के
आनू ने
पैसा नै अइछ
कानू नै
हमहुँ पढ़बै
जानू ने।

सब बच्चा 
गेलै स्कूल
ई सभ ते
पुरना छै "रूल"।
हमहुँ पढ़बै
आगू बढ़बै
बाबू आब नै
करबै भूल।

गरमीक
मौसम छै बाबू
छाता कीनि के
आनू ने
हमहुँ पढ़बै
जानू ने।

खेल खेल में
पढ़बै बाबू
छुट्टी में हम
खेलवै बाबू
अहाँक कोरा
कान्हा चढ़ि के
मेला देख'
चलबै बाबू।

रंग -बिरंगक
फुकना किनबै
हमर बात 
अकानू ने
हमहुँ पढ़बै
जानू ने।

स्वाती शाकम्भरी
सहरसा

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