dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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गुरुवार, 19 नवंबर 2015

गजल

मीता सूतल छी किए
एना रूसल  छी किए

दुनियादारी राग सुनि
एहन टूटल छी किए

सौंसे भूरे भूर अछि
एते फूटल छी किए

पुरना पुरना बात बनि
हमरा बूझल छी किए

"ओम"क मोनक फूल बनि
माला गूथल छी किए

२-२-२-२, २-१-२ प्रत्येक पाँति मे

सोमवार, 16 नवंबर 2015

गजल

पेरिस होय वा मुम्बई, खूनक रंग लाल रहै
काटल थुरल लाशसँ लिखल धरतीपर सवाल रहै

धर्मक नामपर मचल तांडव, एना किए भ' रहल
मनुखक जन्म भेलै किए, बढ़ियाँ माल-जाल रहै

सुन्नर छै धरा ई, गगन सेहो बड्ड नीक रचल
चाही जन्म नै एत', मनुखे मनुखक जँ काल रहै

गीता वेद कुरआन पढ़लौं, बाईबिलो तँ पढ़ल
सबठाँ लिखल खिस्सा पवित्र प्रेमक विशाल रहै

अनका जीब' नै देब, की धर्मक यैह काज कहू
एहन धर्म "ओम"क कहाँ  छै, ई जकर हाल रहै

२ २ २ १, २ २ १ २, २ २ २ १, २ १ १ २    प्रत्येक पाँतिमे एक बेर

गुरुवार, 5 नवंबर 2015

भगवती गीत

माँ माँ माँ हम सदिखन पुकारी
नाम अहींक हम सब उचारी
एक बेर तँ दर्शन दियौ माता
छी हम सब अहीं केर पुजारी
माँ माँ माँ........
अरजी सभक माँ सुनबे करती
दुखियाक सब दुःख हरबे करती
अहाँक आँचर तर माँ कियो नै दुखारी
माँ माँ माँ..........
खूब अहाँक दरबार सजलए
अहींक कृपासँ संसार सजलए
अहाँ छी रानी माँ हम सब छी दरबारी
माँ माँ माँ............

भगवती गीत

चलू मैयाक करू सिंगार, आश्विन आबि गेलै
आउ मंदिर करू तैयार, आश्विन आबि गेलै
हम सब दुखी छी, माँ अहाँ दुखहंता
आब नैए हमरा कोनो बातक चिंता
माँ सुनबे करती पुकार, आश्विन आबि गेलै
चलू मैयाक .................ै
बड्ड सोभैए माँ दरबार अहाँ केर
अछि सब पर उपकार अहाँ केर
छै भक्तक लागल कतार, आश्विन आबि गेलै
चलू मैयाक .................ै
गंगाजलसँ माँकेँ चरण पखारब
दुर्गा भवानी नित नाम उचारब
माँ केँ पूजा करैए संसार, आश्विन आबि गेलै

गीत

केलौं कोन कसूर जे हमरा बिसरि गेलियै
किए अहाँक चितसँ हम उतरि गेलियै
हमर नब परिधान सिंगार मनोहर
गम गम गमकै बगिया ओई पर
कतय हवा जकाँ अहाँ ससरि गेलियै
किए अहाँक चितसँ.............
नैनक काजर पूछि रहलए
निर्मोही नै किए आबि रहलए
नैनक नीर बनि क' अहाँ झहरि गेलियै
किए अहाँक चितसँ ...........

गीत

हमर करेजाकेँ एना धड़काबै छी किए
अहाँ दाँत तर ओढनी दबाबै छी किए
खिस्सा प्रेमक जानि गेल दुनिया
अप्पन सिनेहकेँ मानि गेल दुनिया
दुनियासँ ई खिस्सा नुकाबै छी किए
अहाँ दाँत तर................
रस भरल अछि अहाँकेँ ई मुस्की
मोनमे गड़ल अछि अहाँकेँ ई मुस्की
अप्पन मुस्की एना लुटाबै छी किए
अहाँ दाँत तर.............

गजल

अप्पन गाम बिसरल छी
गाछक आम बिसरल छी
नित नब खेलमे बाझल
माटिक दाम बिसरल छी
ठीकेदार हम धर्मक
रामक नाम बिसरल छी
गाँधी हम उचारै छी
हुनकर राम बिसरल छी
छाहरि "ओम" बाजल किछु
ककरो घाम बिसरल छी

रुबाई

बहैत धार हमर जिनगी आ कछेर अहाँ
सुनबै छी जिनगीक तान बेर बेर अहाँ
आँखि मूनल रहै वा फूजले रहै हमर
हमर सपनामे कएने छी घरेर अहाँ

रुबाई

कहियो तँ करेजासँ हमरा सटा क' देखियौ
हमर नैनासँ अपन नैना मिला क' देखियौ
बनि जेतै एकटा इतिहासे अमर प्रेमक
हमर प्रेमकेँ करेजामे ढुका क' देखियौ

रुबाई

विरहक हमर उपचार नै, अहाँ बिनु जीबि लए छी कहुना
देखलक कियो नै फाटल करेज, जकरा सीबि लए छी कहुना
सुखाएल नयनक ई घाट देखि लोक बूझै निसोख हमरा
कियो नै बूझै नोरक धार नयनसँ हम पीबि लए छी कहुना

गजल

हमर करेजक जान तिरंगा
भारत-भूमिक शान तिरंगा
शोषित लोकक आस बनल छै
आमजनक अरमान तिरंगा
नजरि उठेतै दुश्मन जखने
बनत हमर ई बाण तिरंगा
मोल मनुक्खक होइत की छै
गाबि कहै छै गान तिरंगा
राम-रहीमक बातसँ आगू
"ओम"क अछि सम्मान तिरंगा
मात्राक्रम दीर्घ-ह्रस्व-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ दू बेर प्रत्येक पाँतिमे।

कविता

राति कारी बीत चुकल, भेल जगतमे उज्जर बिहान।
सूतबै कतेक काल धरि, आब जागि जाउ अहाँ श्रीमान।
चिड़ै चुनमुन नीड़सँ निकसल, गाबि रहल अछि मंगलगान।
लागि रहल अछि सगरो जगतमे आबि गेल जेना नब प्राण।
रंग रंग केर फूल फुलाएल, बढ़ि गेल फुलवारीक शान।
नब प्रकाशसँ दमकै धरनी, सब दिस इजोतक छै गुणगान।
चलू उठू आइ करू प्रतिज्ञा राखब हम मिथिलाक मान।
देशक विकासक संग चलब हम, भारतक माथक छी हम चान।

रुबाई

चानक चमक बढ़ि गेल अछि
मोनक धमक बढ़ि गेल अछि
जहिया सँ हुनकर रूप देखल
गामक गमक बढ़ि गेल अछि

रुबाई

राति बीतल जाइए
मोन तीतल जाइए
हारि बैसल छी हिया
प्रेम जीतल जाइए

गजल

मोन वैह गलती बेर बेर करैए
चान केर चाहत आब फेर करैए
पूरलै कहाँ पहिलुक सबेरक सपना
आस नब किए एखनहुँ ढेर करैए
जीबि रहल मारल मोन भूमि धएने
सदिखने तँ ई जिनगी अन्हेर करैए
भाँग पीबि सनकल नाचि रहल मनुख ई
सनकि सनकि कोना ई घरेर करैए
मोन भरि छलै गप ओम केर हिया मे
ओहिना तँ नै गप सेर सेर करैए

गजल

हमर बात कियो बुझलक कहाँ
हमर मोन कियो तकलक कहाँ
चमकि गेल छलै बिजुरी कतौ
हमर अन्हार कियो हरलक कहाँ
बात सुनल सभक नमहर सदति
हमर छोट कियो सुनलक कहाँ
राखि हाथ मे बम आ पिस्तौल
हमर नाच कियो नचलक कहाँ
ओम जपि हरक नाम सदिखन
हमर नाम कियो जपलक कहाँँ

गजल

आब हम बहुत सुधरि गेल छी
कष्ट तँ अनकर बिसरि गेल छी
की समाज आ की सामाजिकता
ऐ सँ कहिये सँ ससरि गेल छी
कखन चमकतेै मेघ गगन मे
रातिये सँ हम उमरि गेल छी
जूनि चिकरबै सभक हाल पर
मारि खा क' सब कुहरि गेल छी
ओम निखरलै चुपे रहि बैसले
सब कियो अहूँ निखरि गेल छी