dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शनिवार, 29 अगस्त 2015

श्री प्रवीण नारायण चौधरी जी के मिथिला - मैथिली के "जामबंत" क उपाधि सँ सम्मानित

आजुक समय में मिथिला - मैथिली के "जामबंत" श्री प्रवीण नारायण चौधरी जी के संग । मित्र व श्रेठ लोकनि अपने लोकनि के इ जानकारी द दी, जे इ उपाधि हिनका हमरे द्वारा देल गेल छनि। तकर मूल कारण जहिना रामायण में जामबंत मैथिली (माता सीता ) के अनबाक लेल हुनक पुत्र तुल्य श्री हनुमान जी के शक्तिक आभाष करौलनि , तहिना प्रवीण जी कतेको मैथिली पुत्र के ओकर शक्तिक एहसास करौलनि आ क्रमशः लागल छथि। जाहि सँ मिथिला - मैथिली के विकास भ' सकैक मिथिला राज्य बनि सकैक । एहि गुण के कारण हम हिनका "जामवंत" क उपाधि सँ सम्मानित केलियनि ।

बुधवार, 26 अगस्त 2015

सन्दर्भ ए दहेज-मुक्त-मिथिला

सन्दर्भ ए दहेज-मुक्त-मिथिला


आइ व्हाट्सअप पर किछु उत्साही युवा एहि अभियान पर प्रश्न उठेलनि जे सक्रियता महाराष्ट्र मे भेला सँ अथवा कोनो शहर आ फेसबुक टा पर रहला सँ आम जनमानस धरि कोनो लाभ नहि पहुँचि रहल अछि। ई कोनो पहिल बेर नहि जे एहि तरहक प्रश्न उपरोक्त दहेज मुक्त समाजक निर्माण लेल चलायल अभियान पर उठल अछि, एहि सँ पूर्वहु कतेको बेर बिल्कुल एहने प्रश्न सब सँ दुइ-चारि होमय पड़ल अछि सक्रिय योगदानकर्ता सब केँ। व्हाट्सअप पर हमरा मोबाइल मे टाइप करैत लिखबा मे बहुत समय लागि जाइत अछि, ताहि कारण हम अनुरोध केलियैन जे आउ, एहि बहस केँ आम चर्चा बनबैत दहेज मुक्त मिथिलाक फेसबुक ग्रुप पर आनी। तथापि, किनको व्हाट्सअप बेसी नीक लगैत छन्हि, बेसी हाथ ओत्तहि उसरैत छन्हि, अत: ओ बहस हुनका लोकनिक बीच वैह स्थल पर चलि रहल अछि। मुदा ई विषय आम जनमानस सँ जुड़ल रहबाक कारण हम एकरा सार्वजनिक स्थल पर आनबाक लेल एतय लिखि रहल छी।

अभियानक सक्रियता मिथिलाक माटि पर नहि भेल - पहिल प्रश्न!
मिथिलाक माटि पर रहनिहार बीच परदेशी मैथिल पुतक कमाई सँ कतेको बेर जेबाक प्रयास भेल, लेकिन लोकप्रियता न्युजपेपर केर माध्यम सँ मात्र संस्था केँ भेटल, आम लोक मे नारा पहुँचल, धरि कय टा विवाह मे दहेजक व्यवहार कम भेल आ कि नहि भेल से तथ्यांक हमरा लोकनिक पास नहि अछि। हम सब ओतेक सामर्थ्यवान नहि भऽ सकलहुँ जाहि सँ विचार रहलो पर ओहेन तथ्यांक संकलन कए सकितहुँ। 

असफलताक मूल कारण:


गाम-गाम मे अभियानक प्रसार करैत एकटा सूचना केन्द्र केर स्थापना, जुड़ल सदस्य द्वारा अपनहि गाम केर जिम्मेवारी ग्रहण करैत एहि लेल एकटा व्यक्ति आ हुनकर नंबर दैत संस्थाक पोस्टर द्वारा सोशियल मिडिया पर प्रचार करबाक काज मे किछु सदस्य छोड़ि बाकी कियो रुचि नहि देखेलनि। एकटा 'निगरानी समिति' जे ५ सदस्यीय बनेबाक छल, जे सब समुदायक लोक केँ आपस मे जोडिकय बनेबाक छल, ताहू लेल कतहु सँ कोनो तरहक अगुआई करबाक लेल पहल नहि भेल। 

सफलताक किछु अकाट्य उपलब्धि:


साल २०११ मे ऐतिहासिक सौराठ सभा सँ ई काज बहुत बढियां जेकाँ शुरु भेल छल। २०१२ मे सेहो जमीन पर गाम-गाम मे बैनर-पोस्टर लगायल गेल छल। साल २०१३ मे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक संग सहकार्य मार्फत गाम-गाम जे प्रचार अभियान गेल ताहि मे ई आह्वान केँ समाहित कैल गेल छल। २०१४ मे अभियानी लोकनि गामक वास्ते कोनो खास कार्यक्रम किछु विशेष परिस्थिति मे नहि बना सकलाह। तैयो, २०१४ मे स्मारिकाक विमोचन खास मिथिलाक मैदान मे कैल गेल आ जनमानस संग जुड़ल रहबाक प्रयास कायम रहल। साल २०१५ मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन कैल गेल अछि एखन धरि आ जनजुड़ाव अपना हिसाबे बनले अछि। 

एकर अतिरिक्त दहेज मुक्त मिथिलाक उपस्थिति मुम्बई, दिल्ली सहित मैथिली महायात्राक क्रम मे कोलकाता, कानपुर, सहरसा, जमशेदपुर, राजविराज, आदि मे सेहो पहुँचल। संगहि सोशियल मिडिया द्वारा निरंतर फोकस मे रहल विषय संबोधन सँ सामाजिक संजाल पर सक्रिय जनमानस मार्फत लगभग संपूर्ण मैथिल मे ई अभियान बहुत बेहतरीन ढंग सँ अपन स्थान बनेने रहल। आइ 'दहेज मुक्त मिथिला' कतेको मुक्ति आन्दोलनक जनक बनि गेल अछि। 'नशा मुक्त मिथिला', 'बेरोजगारी मुक्त मिथिला', 'अशिक्षा मुक्त मिथिला' आ आबयवला समय मे 'रोग मुक्त मिथिला', 'भ्रष्टाचार मुक्त मिथिला', 'जातीय मतान्तर मुक्त मिथिला', 'धार्मिक विभेद मुक्त मिथिला' आ समाजक हित मे जे किछु आर संभव होयत ताहि केर पहल मे पर्यन्त योगक्षेम दैत नव मिथिलाक निर्माण मे ई सहायक होयत।

कोषकेर कमीक मूल कारण:

मैथिल जनमानस मे स्वयंसेवा आ स्वसंरक्षण केर मूल आधार रहल अछि जाहि सँ सनातनजीवी संस्कृति मे मिथिला आइ युगों-युगों सँ भूगोलविहीन अवस्थो मे जीबित अछि। मुदा वर्तमान युग मे अधिकांश लोक 'स्वार्थपरक' भौतिकवादी बेसी बनि रहला अछि। तथापि विदेहक संतान मे स्वस्फूर्त योगदान कएनिहार सैकड़ा मे दुइ-चारि गोटा रहिते छथि। 

मैथिल लोक चन्दा-चिट्ठा मे बेसी विश्वास नहि करैत अछि। सब कियो अति स्वाभिमानी होइत अछि। रुख-सुख भोजन कय लेत, मुदा ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् केर चर्वाक् समान नास्तिकवादी विद्वानक कथन केँ कहियो नहि अपनायत। यैह कारण छैक जे व्यक्तिवादी विकास मे भले मैथिल अपन मूल केँ बिसैर गेल हो, मुदा सामुदायिक हित लेल स्वैच्छिक योगदानक घड़ी ओ बजेला पर कहियो पाछू नहि हँटत। 

स्वैच्छिक योगदान लेल विषय सार्वजनिक हितक राखय पड़ैत छैक। सबहक हित लेल कार्यक्रम निर्माण करय पड़ैत छैक। ताहि गुणे किछु अत्यन्त पारदर्शी आ समाजिक हित मे सदा समर्पित अगुआ केँ संग लैत धरातल पर काज करबाक लेल आयोजन करय पड़ैत छैक। एहि तरहें लाखों-लाखों खर्च सँ संपन्न होइत छैक अनेकानेक अभियान। गाम मे सार्वजनिक पूजा समारोह, धार्मिक यज्ञ आयोजनादि आ संपूर्ण ग्रामीण सहयोग सँ कोनो असहाय ग्रामीणक कल्याणादि अनेकानेक कार्य आइयो होइते छैक। 

तखन दहेज विषय केर व्याख्या आइयो बौद्धिक मैथिल लेल एकटा अनरिजोल्भ्ड मिस्ट्री - समाधानविहीन रहस्य केर रूप मे स्थापित छैक। वैवाहिक सम्बन्ध हरेक परिवारक नितान्त व्यक्तिगत निर्णय होयबाक कारण समाजक भूमिका नगण्य होइत छैक। मुदा दहेजक कूरूपता सँ परिचित समाज धीरे-धीरे आब एहि बात लेल तैयार भऽ रहलैक अछि जे एकरा सँ लड़बाक लेल सबकेँ एकजुट होमय पड़त। तखनहु, मिथिला मे आइ धरि कोनो सामूहिक विवाह आ कि दहेज मुक्त विवाह केर आयोजन केर यशगान वा वैवाहिक परिचय सभा वा कोनो सार्वजनिक आयोजन हाल धरि नहि भऽ सकलैक अछि जाहि सँ 'दहेज मुक्त मिथिला' केर सपना पूरा हेतैक। 

फेर, युवा समाज जे आइ परदेश मे अछि, जे मैथिल वाहेक आन-आन समाज मे एहि कूरीति सँ निदान पेबाक विभिन्न उपक्रम सँ परिचय पाबि रहल अछि वैह टा मिथिला केँ सेहो एहि कैन्सर सँ निजात दियेबाक लेल कने-मने सोचैत अछि। ओकरे मे कनेक दानशीलता सेहो छैक जे एहि तरहक आयोजन करी। व्यवसायिकता सँ एहि आयोजन लेल कोनो फंड कतहु सँ प्राप्त करी, ताहि तरहक धारणा आइ धरि हम मैथिल मे अछिये नहि। आ नहिये ई अछि जे केकरो सँ जबरदस्ती चन्दा उठाबी। तखन, अपन-अपन समर्पण सँ अपन-अपन गाम टा लेल यदि हम सब जिम्मा उठा ली, किछुए लोक केँ मिथिलाक्षेत्र सँ जोड़बा मे सफल होइ तखनहि टा एहि अभियानक सफलता यथार्थ धरातल पर तय हेतैक। एहि लेल हम सब प्रयास करी।

आरोप अछि जे पाग-दोपटा आ मंचीय सम्मान केर भूखक चलते ई अभियान नामक लेल बेसी, काजक लेल कम अछि:

ई आरोप तखन आरो बेसी गहिंर भऽ जाइत छैक जखन विषय पोषण लेल चिन्तन कम आ अगबे मान-सम्मान आ नाम लेल कूदा-कूदी बेसी भऽ जाइत छैक। हलाँकि जतेक चर्चा मे अबैत छैक, ततेक लाभ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष होइते टा छैक, जेना फेयर-एण्ड-लवली क्रीम कतेको श्यामल वर्णक लोक गोर हेबाक लेल टीवी विज्ञापन देखिकय लगैबते अछि। मुदा यथार्थ ई छैक जे संस्था, एकर अभियान आ विभिन्न आयोजन केर व्यवस्थापन लेल एकटा कार्यकारिणी समितिक आवश्यकता होइत छैक। ताहि लेल पद आ जिम्मेवारीक बँटवारा कार्य विभाजनक दृष्टि सँ कैल जाइत छैक। एहि मे पित्त-तित्त बात उगलब, अपन जिम्मेवारी सँ कोनो बहन्ना बनाय भागब, फूसिये मे तरह-तरह केर आरोप-प्रत्यारोप करब, तेहेन समय मिथिला लेल नहि आयल छैक। 

अछैते सरकारक घर सँ करोड़ों रुपयाक परियोजना उपलब्ध रहैतो हमरा लोकनिक पंजीकृत संस्था एखन धरि ढंग सँ मैटो नहि पकैड़ सकल अछि। केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली मे रहनिहार एतेक व्यस्त छथि जिनका अपन काज छोड़ि कनेक संस्थाक हित पोषण कय दियौक ताहि लेल कहलो पर कोनो परिणाममूलक उपलब्धि नहि भेटैत छैक। मजबूरियो छैक... सबहक परिस्थिति ओकरा अपनहि सम्हारय पड़ैत छैक। समाजसेवा पहिने अपन अनिवार्य स्वार्थ पूरा भेला बादे कियो करैत छैक वा करतैक। तखन दोषी केकरा मानल जाय? आपसी कहा-सुनी छोड़ि जिनका सँ जे पार लगैत अछि ओतेक योगदान दैत यथासंभव सेवा करू, मानवसेवा केँ माधवसेवा बुझू। जीत तय अछि। 

सोमवार, 24 अगस्त 2015

कुत्ता और इंसान

कुत्ता और इंसान 

कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया

एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!
नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था
फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है
इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है
अब ना देखो किसी की बाट
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
जज की आँख हो गयी लाल
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल
तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो
फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला
हाँ, मैंने वो लड़की खायी है
अपनी कुत्तानियत निभाई है
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना
पर मैं दया-धर्म से दूर नही
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही
मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी
जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी
मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था
मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई
चल मेरे साथ, उसे लेकर आ
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला
माँ सुनते ही रोने लगी
अपने दुख सुनाने लगी
बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को
तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को
मेरी सासू मारती है तानों की मार
मुझे ही पीटता है, मेरा भतार
बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार 
लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही
कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही
वंश की तो तूने काट दी बेल
जा खत्म कर दे इसका खेल
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी
कुत्ते का गला भर गया
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया....!
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया
वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर
फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर
मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी
हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो
और खुद को इंसान कहलवाते हो
मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान
जो समाज इससे नफरत करता है
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है
वहां से तो इसका जाना अच्छा
इसका तो मर जान अच्छा
तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते .

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

जय श्री राम

काल्हे रात सपना में हनुमान जी दर्शन दील्हले ।  गदवा के नोक हमरा पीठीया में भोंक हमरा उठैले ।  हनुमान जी -बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम ना बोलब , हमर सेकुलर मित्र सब नाराज हो जैहन , बोलिसन तू आर एस एस के चेला है, तू कट्टर हिन्दू है , धर्मनिरपेक्षता आ देश कि अखंडता पर खतरा है , तोरा से हम दोस्ती न करम , तोरा के ब्लोक कर देम । हनुमान जी - मारबौ गदा कपार पर त चढ जैईबै पहाड पर , सेकुलर मित्र तोरा खाए ला दे हौ ? मुसीबत अईला पर तोरा मदद करे हौ ? संकट से दूर निकाले हौ ? हम कहनी -ना प्रभु ! हनुमान जी -जो राम का नहीं वो किसी का नहीं । त बोल जय श्री राम ! हम कहनी - हम ना बोलब ! काहे कि अभी बिहार में इलेक्सन के टाईम बा , सेकुलर रहब त कही जोगाड सेट हो जाई । हनुमान जी - धत् बुरबक तू चोरी क ईले हैं ? हम कहनी -न प्रभु ।हनुमान जी -लूट ,हत्या,डकैती,अपहरण,रंगदारी,बलात्कार "हम कहनी -राम राम ! ई का कहतानी प्रभु । हम इ सब से दूर बानी । हनुमान जी- त तोरा के के भोट देतौ ? बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम न बोलब , जे रामजी अपने तिरपाल गाड के रहतानी ऊ हमरा के का उबारीहन ? हनुमान जी पुरा गुसा गैलन थुथना फुला के कहलन - बोलबे जय श्री राम कि मार गदा के देहवा चूर दियो , हम कहनी -हम कमजोर बानी त न हमरा पर गुस्सा दिखावत बाडन ? ऊ जे छप्पन इंच के सीना ले के दिल्ली में बैठन बाडन कि हमर सरकार आयत त अयोध्या में राममंदिर बनवा देव,  धारा 370 खत्म करवा देब ,विदेश से काला धन ले आईब, भोजपुरी के आँठवा अनुसुची में शामिल करवा देब । उनका जाके गदा दिखाई तब न बूझी रौआ के बजरंगबलि । अब त हनुमान जी रौद्र रूप धारण कर लैहलन , गदवा कँधवा पर रखी के बोललन -तू त अईसन न रहे , बचपने से हनुमान चालीसा पढत रहे आ जय श्री राम बोलत रहे । बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम न बोलब । हनुमान जी-बचपने से मुसीबत आईला पे केकर नाम ले है  ? हम कहनी -जय श्री राम ! जय हनुमान । हनुमान जी -हर बाधा के पार करावा तानी ? हम कहनी -जय श्री राम ! हनुमान जी - हम तोहर रक्षा करै हियो केकरा कहे पे ? हम कहनी-श्री राम  के बोले पे ! जय श्री राम ! हनुमान जी अब मुस्कुरा के जाए घरी बोललन -बोलत रहीहे जय श्री राम ! न त मारबौ गदा कपार पर आ चढ जैईबै पहाड पर ! बोल जय श्री राम ! हम रटत रहनी जोर जोर से जय श्री राम ! जय श्री राम ! जय श्री राम ! तभीये मकानमालिक हडबडा के उठलन आ कहलन -का हुआ झाजी जे आधी रतिया के इतना जोर जोर से जय श्री राम बोल रहे है ? हम कहनी कुछो न रौआ जय श्री राम बोल के सो जाई ! हमरा त अब नींद आवे से रहल # बोल जय श्री राम

शनिवार, 8 अगस्त 2015

केना देश महान हेतैय


ज छोट छोट सन बातके ल क,
रोजे नया बबाल हेतैय।
आतंकवादी के फाँसी यो पर जॅ,
अना नित नया सवाल हेतैय।।
फेर केना देश महान हेतैय!!
बाजल जॅ किछु साहरुख सलमान,
ओहु पर अना घमासान हेतैय।
सर्वोच्च न्यायालय क फैसला पर जॅ,
परैत केकरो शकक निगाह हेतैय।।
फेर केना देश महान हेतैय!!
जॅ निरथ॔क बातचीत मे,
सबहक समय बर्बाद हेतैय।
फेसबुक आ वाटसाॅप पर,
हिन्दू मुस्लिम मे गाईरम गाईर हेतैय।।
फेर केना देश महान हेतैय!!
"छी कियो हिन्दू छी कियो मुस्लिम,
राष्ट्र धम॔ के मान करू।
निरदोषक जे प्राण हरैया,
उकरा नहि छमादान करु।
नाम आतंक जेकर कोनो धम॔ नहि,
सब मिली ऐकर नीदान करु।"
राजनीति मे जॅ तुचछ बिचार हेतैय।।
फेर केना देश महान हेतैय!!

कविता ने गीत लिखै छी

ने कविता ने गीत लिखै छी।
ने मिठगर ने तीत लिखै छी।।
     सत्य लिखै छी व्यथा लिखै छी।
     अपने अप्पन कथा लिखै छी।।
पुन्य लिखै छी पाप लिखै छी।
मुनि सँ भेटल श्राप लिखै छी।।
       विरह वियोग विलाप लिखै छी।
        शोक दर्द सन्ताप लिखै छी।।
श्रमिक जन्म अभिषाप लिखै छी।
दु:ख प्रारब्धक पाप लिखै छी।।
        जन्म मृत्यु संसार लिखै छी।
        ब्रह्म वेद आधार लिखै छी
स्वर्ग लिखै छी नर्क लिखै छी।
 अप्पन अप्पन तर्क लिखै छी।।
         अर्थ लिखै छी व्यर्थ लिखै छी।
          बेचल कलम अनर्थ लिखै छी।
 राजा के सम्मान लिखै छी।
धनबल के गुणगान लिखै छी।।
        " बक्शी" व्यर्थ प्रतिवाद करै छी।
           हम कोनो अपराध करै छी।।

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

मिथिलाक दर्द

सुनु यो बाबू सूनू यो नेता । 
सूनू यो मूखिया गाम के । । 
 मोदी जी के देश मै भैया । 
 होर लगल ऐछ दाम के । । 
 आंटाक बर हल चिनिक बरहल । 
 बरहल तेलक दाम यो । । 
 सांझ क डिबिया भूक-भूक कने ।  
अंहांर ऐछ धर दलान यो । । 
 इंटर कलू बी0 ए0 कलू ।  
 कलू ऐम0 ए0 पास यो । । 
 मिथिला मे नोकरी नय ऐछ । 
 देखू दोसर राज्य यो  । । 
 हम प्रदेशी बीरेन्र्द मंडल । 
 कहै छी इ काइन के  । । 
मोदी जी के देश मे भैया ।  
होर लगल छै दाम के   ।। 
 अपने घूमैं देश -बिदेश मे । 
 भटकि हम राजे - राज्य यो । । 
 झारू-बहारू बरतन पोछा  । 
मैला ढोबैय के काज यो । । 
 वइठांमक नेता जी कहैया  । 
 भगाव बिहारि के बाईन्हः के । । 
 मोदी जी के देश मे भैया  । । 
 तोफा मिलऽल आपमान के । । 

बिरेंदर  मंडल धानूक 
 (भाई - बंधू  , हम अप्पन दूख बैक्त करैत  कोनो नेता आ र्पाटिक मन दूखब के हमर कोनो  सोच नै )

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

पंचमी पाबनि

पंचमी पाबनि 



इ मौना पंचमी  छल | एकरा नाग पंचमी सेहो कहल जाइत छै | अजुका दिन मिथिला मे माटिक थुम्हा बनाक' घरे घर राखल जाइत अछि | कुलदेवी के पातरि देल जाइत छनि |भोरे भोर नीमक पात आ नेबो खयबाक परंपरा थिक | साँपक प्रकोप सँ बचबाक लेल मूसक माँटि मंत्रिया क' घर सब मे छीटल जाइत अछि | घरक' धुरखा सब पर गोबर सँ नाग नागिन के चित्र बनौल जाइत अछि |आइ मिथिलाक प्रायः सब घर मे खीर आ घोरजाउर बनिते अछि |ई पाबनि बहुत लोक के अगिला पंचमी मे होइत अछि जकरा लगपाँचे के नाम सँ जानल जाइत अछि | 

  मिथिलाक नवविवाहिता लोकनिक   प्रसिद्ध पाबनि मधुश्रावणी पूजब सेहो आइये सँ आरंभ भेल जे अगिला तृतीया धरि चलत | एहिमे नव विवाहिता लोकनि फूल लोढ़ि क' महादेव,गौरी,नाग नागिन आदि देवी देवताक पूजन अपन सोहागक रक्षार्थ करै छथि |मधुश्रावणी पाबनि सामान्यतया मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ परिवार मे प्रचलित अछि |

सोमवार, 3 अगस्त 2015

इतिहास

इतिहास

लिखब आब नबका खिस्सा यो। रचब आब
नबका इतिहास यो ।
गाम गाम में नगर नगर में। फेलाय्व नबका
इजोत यो।
रिधि सिध्दि भय गेल मिथिला से । भय
गेल कोश दूर यो ।
सांति के खा गेल।
मिल के सब कुर्र्र यो मिटायब भूख भय
संसय।
लोकक मोन से।
लिखब नया इतिहास यो।
महगाई डाईन मुहँ फारने। बिकराल यो।
धुरंधर महा रथी सब बजा रहल अछि मिल
के गाल यो।
माँ मिथिला के सब मिलके बना रहल
अछि ग्रास यो।
लिखब नया इतिहास यो।
घमासन मचल अछि चहुदिस
लुट खसोट के।
कियो खाईये घी मलीदा।
कियो मरुवा रोटी यो।
असली मालिक अछि जनता
बनल अछि दास यो
वडू आगू पवन  संग मिथिला वासी
लियय नया संकल्प यो।
घर घर में दहेज़ के आगि केने अछि लाचार
यो।
मस्ती में जी रहल अछि नेता सब चमचा सब
माला माल यो।
जे जतेक उपर वेशल अछि
ओ ओतेक प्यासल यो

रविवार, 2 अगस्त 2015

अपन ह्रदय के आकश बनाऊ
बंद करू,
एक दोसर के,
प्रताड़ित करव,
अपन अहँकार स,
एक दोसर के झरकैब,
याद राखु,
अंततः अहाँ ,
स्वयं के दुखी करैत छी,
कोणठा  में नुका-नुका कनै छी,
मरल मूस के कतवो झापव,
दुर्गध घेरवे टा करत,
ओही स्मृति पर नै इतराउ,
जे अहाँक खुशी के ग्रसने अई,
"बिसरू" अ खुद के सुखी करू,
एक टा बात पुछू ?
खिसियाब त नै ?
कहीं अहाँ भीतर स डेरैल त नै छी,
अपने बात में हेरैल त नै छी,
अपने अइन ओझरैल त नै छी,
कहीं अपने व्यवहार स अशांत त नै छी,
लोक पर त जादू चला लेब,
मुदा भीतर के शर्मिंदगी स केना बचव,
खाली करू स्वयं के भीतर स,
साफ करू स्वयं के भीतर स,
एक बेर चुप रहै के,
प्रयाश त करू भीतर स,
लोक के चुप करेनाई बड्ड आसान छै,
स्वयं के बड्ड कठिन,
एक बेर स्वयं के पुछियौ त सही,
की सचमुच अहाँ के निक लगैया,
जहन लोक अहाँ  स डेराइया,
कही अहाँ अई भ्रम में त नै छी,
जे अहाँक धौंस स,
अहाँक कायरता झपाइया,
खुद के बुरबकी स उबरु,
आ कनि ऊपर देखियौ,
खुला आसमान,
किछ फुसफुसा क,
अहाँक कान में कहैया,
हठ छोड़ू,
दुनू हाथ फैलाऊ,
अपन ह्रदय के आकश बनाऊ,
आ सब पर अपन अमृत बरसाउ,🚩🇮🇳

बेलगोबना

Message to Belagobanaa!!
बेलगोबना रे बेलगोबना…..
अगबे फोटो टा नहि देखे रे बेलगोबना
बेलगोबना रे बेलगोबना!!
समाचार सब पढे मिथिलाके
राखे ध्यान मे गाम सदा,
कतबू घरवाली लगे मे छौ
गाम मे मैथिली मर्यादा!!
एना जुनि बहको रे बेलगोबना!
बेलगोबना रे बेलगोबना!!
खुजलौ मैथिली जिन्दाबादक
वेबसाइट बस तोरहि लेल,
नहि चाही आरो किछु फूद्दू
जोड़ि राखि बस मिथिलालेल!
एना नहि बिसरो रे बेलगोबना!
बेलगोबना रे बेलगोबना!!
पठो खबैड़ कोनो मैथिल केर तूँ
चाहे गाम हो या परदेश,
जे देबाद छौक पठा सनेशा
बैठल-बैठल निज स्वदेश!
मैथिल रंग राँगे रे बेलगोबना!
बेलगोबना रे बेलगोबना!!
नोट: बेलगोबना माने जे अपन संस्कृति आ मैथिलत्वकेँ परित्याग कय बस आनक भाषा, भेष आ रंग केँ बेसी बढाबा दैत अछि – ओकरा लेल मैथिली जिन्दाबादक खास संदेश!!🚩🇮🇳

संगी

मैथली कबिता :-संगी

(संगी)
संगी वयाह होइय जे हरेक दुख,शुखमे संग दैय
अपने ब्यथा जका संगिक बेदना बुझैय संगी!
हमार जिबनक शासक आधा हिशायै संगी!
हरेक कुण्ठा आ पिराके हैश,खेलक बितादैया संगी!
बुइझ नै पवैछी जीवनक हरेक हिशाके,
बुझबाक प्रयत्न करैछी त् हमर जीवनक जान यै संगी!
संगी वयाह होइय जे हरेक दुख,शुखमे संग दैय
अपने ब्यथा जका संगिक बेदना बुझैय संगी!
भाब बिभोर भेनऊ संगिक संग देख,
जिन्दगीक हरेक डेग्पर संगदैय संगी!
अपन जिन्दगीक अन्तिम समयतक संग देबऊ तॊरा,
बिचलित नैहो,अनेको बातक भरोशा दैय संगी!
संगी वयाह होइय जे हरेक दुख,शुखमे संग दैय
अपने ब्यथा जका संगिक बेदना बुझैय संगी!
एक्छन जखन दुर होइछि,सोइच परैछी किछ बात,
कत भेटत् एहन संगी,जे संगदेत सैदखन संगी!
कोना जिबपयात लॊक्शब,सृशटीक एहन रचनामे,
जिन्दगीक हरेक संघर्ष नै झेल्पयात बिना संगी,बिना संगी!
संगी वयाह होइय जे हरेक दुख,शुखमे संग दैय
अपने ब्यथा जका संगिक बेदना बुझैय संगी!!!!!🚩🇮🇳

शनिवार, 1 अगस्त 2015

मैथिली साहित्य महासभा -दिनांक 02.08.2015

मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली केर तत्वावधान में प्रथम विद्यापति स्मृति 

     व्याख्यानमाला में अहाँ सब गोटे सादर आमंत्रित छी .... 

   दिनांक 02.08.2015 ........

  समय :- 3:30 बजे स साँझ के 6:30 धरि....

   स्पीकर हॉल, कांन्सटिट्यूशन क्लब , 

     नई दिल्ली ............. “

  जय मिथिला, जय मैथिली” सब गोटेक सहभागिता अपेक्षित अछि