मिथिलाक चतुथ॔ नाम तिरहुतः कि॓एक..?
वि० पु०....
"गण्डकी तीर मारम्भ चम्पारण्यान्तकं शिवे ।
विदेह भूः समाख्याता तिरभुक्त मिथः मनुः ।।"
रामायणः...जेहि तिरहुति तेहि समय निहारी ।
तेहि लघु लगे भुवन दश चारी ।
जो सम्पदा निज गृह शोहा ।
सो विलोकि सुरनायक मोहा ।।
१, तीर भुक्त " ऋगवेद, सामवेद, यजुवे॔द" तीनू वेद सँ जतय ब़ाह्मण आहुति दैत होइथ से तीरभुक्त तिरहुत भेल ।
२. तृनाम "शाम्भवी, स्वण॔कानन, तपोवन" सँ भुक्तवान अछि जे प़देश से भेल तिरहुत ।
३. कौशकी, गंगा,तथा गंडक तीर तक भुक्तवान "शेष अछि सीमा जाहि देशक" तकरे तिरहुत कहल जाइत अछि ।
४. तीन गुण "सत्व, रज, तम" आर तीन देव "ब़ह्मा, विष्णु, महेश" सँ भाज्यमान जे देश से भेल तिरहुत ।
५. त्रिराम "वलराम, परशुराम, राम" भुगत भेल हो जाि देश में से भेल तिरहुत ।
६. तृसमिर "शितल, मन्द, सुगन्ध" जतय भोगल जाइत हो से भेल तिरहुत ।
• वाणी कुप सरित सर नाना ।
• सलिल सुधा सम मणि सोपाणा ।
• गुँजत माजु मात्र रस भृंगा ।
• कुजत कल वहु वरण विहंगा ।।
७. तृमत "द्वैत, अद्वैत, विशिष्टद्वैत" भुक्तवान अछि जाहि देश में ओहि देश के तृभुक्त अथा॔त तिरहुत कहल जाइत अछि
८. चारि वस्तु " धम॔, अथ॔, काम, मोक्ष" में सँ तीन वस्तु "धम॔, अथ॔, मोक्ष" जतय भोगल जाईत हो ताहि देश के तृभुक्त कहल जाइत अछि आ से भेल तिरहुत ।
९. तृताप "दैहिक, दैविक, भौतिक" भुक्तवान अथा॔त समाप्त कएनिहार जे देश तकरा तिरहुत कहल जाइत अछि ।
१०. तृविधकम॔ "संचित, प़ारब्ध, क़ियामाण" मे निष्ठा राखि भोगैत छथि जे देश ताहि देश के तिरहुत कहल जाइत अछि ।
जीव कान्त मिश्र,
अड़ेर,मधुवनी, मिथिला
महासचिव विद्यापति परिषद्,
सिन्दरी,धनवाद,झारखण्ड
वि० पु०....
"गण्डकी तीर मारम्भ चम्पारण्यान्तकं शिवे ।
विदेह भूः समाख्याता तिरभुक्त मिथः मनुः ।।"
रामायणः...जेहि तिरहुति तेहि समय निहारी ।
तेहि लघु लगे भुवन दश चारी ।
जो सम्पदा निज गृह शोहा ।
सो विलोकि सुरनायक मोहा ।।
१, तीर भुक्त " ऋगवेद, सामवेद, यजुवे॔द" तीनू वेद सँ जतय ब़ाह्मण आहुति दैत होइथ से तीरभुक्त तिरहुत भेल ।
२. तृनाम "शाम्भवी, स्वण॔कानन, तपोवन" सँ भुक्तवान अछि जे प़देश से भेल तिरहुत ।
३. कौशकी, गंगा,तथा गंडक तीर तक भुक्तवान "शेष अछि सीमा जाहि देशक" तकरे तिरहुत कहल जाइत अछि ।
४. तीन गुण "सत्व, रज, तम" आर तीन देव "ब़ह्मा, विष्णु, महेश" सँ भाज्यमान जे देश से भेल तिरहुत ।
५. त्रिराम "वलराम, परशुराम, राम" भुगत भेल हो जाि देश में से भेल तिरहुत ।
६. तृसमिर "शितल, मन्द, सुगन्ध" जतय भोगल जाइत हो से भेल तिरहुत ।
• वाणी कुप सरित सर नाना ।
• सलिल सुधा सम मणि सोपाणा ।
• गुँजत माजु मात्र रस भृंगा ।
• कुजत कल वहु वरण विहंगा ।।
७. तृमत "द्वैत, अद्वैत, विशिष्टद्वैत" भुक्तवान अछि जाहि देश में ओहि देश के तृभुक्त अथा॔त तिरहुत कहल जाइत अछि
८. चारि वस्तु " धम॔, अथ॔, काम, मोक्ष" में सँ तीन वस्तु "धम॔, अथ॔, मोक्ष" जतय भोगल जाईत हो ताहि देश के तृभुक्त कहल जाइत अछि आ से भेल तिरहुत ।
९. तृताप "दैहिक, दैविक, भौतिक" भुक्तवान अथा॔त समाप्त कएनिहार जे देश तकरा तिरहुत कहल जाइत अछि ।
१०. तृविधकम॔ "संचित, प़ारब्ध, क़ियामाण" मे निष्ठा राखि भोगैत छथि जे देश ताहि देश के तिरहुत कहल जाइत अछि ।
जीव कान्त मिश्र,
अड़ेर,मधुवनी, मिथिला
महासचिव विद्यापति परिषद्,
सिन्दरी,धनवाद,झारखण्ड