बनि रहल छै मिथिलाक विकासक प्रोजेक्ट
जुरि रहल छै गाम-शहर आ देश विदेश
फेसबुकिया चौक पर भय रहल सब तय
बुझियौ मिथिला विकसित भय गेल्।
फेसबुकिया चौक पार हमहू रही गेल,
गप्पी महन्थ सब स भेंट भेल,
कतेको आचार्य, कतेको प्राचार्य,
कतेको शंकराचार्य स परिचय भेल
गौरब संग चित्त प्रफुल्लित भेल्,
बुझियौ मिथिला विकसित भय गेल्।
फेसबुकिया चौक पर, किछु कर्ता,
बहुते वक्ता आ अनेको उचित वक्ता,
किछु अघोरी कहैथि, मानू, नहि त थुकी देब,
किछु के बीच राँरी-बेटखौकी,
किछु के बीच हथा-पही, सिना-जोरी,
एहि चौक पर कतेको खो्चाहल बाँस गारि देल,
बुझियौ मिथिला विकसित भय गेल्।
बुझियौ मिथिला विकसित भय गेल्।----2
कृपानन्द झा, सर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें