शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024
दुर्गा पूजा मोहत्सव विद्यापति नगर , ग्रेटर नॉएडा वेस्ट के एक झलक
दुर्गा पूजा मोहत्सव विद्यापति नगर , ग्रेटर नॉएडा वेस्ट के एक झलक
शुक्रवार, 27 सितंबर 2024
ब्राह्मण एक ऐसे वृक्ष के समान हैं
ब्राह्मण में ऐसा क्या है कि सारी
दुनिया ब्राह्मण के पीछे पड़ी है।
इसका उत्तर इस प्रकार है।
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी
ने लिखा है कि भगवान श्री राम जी ने श्री
परशुराम जी से कहा कि →
"देव एक गुन धनुष हमारे।
नौ गुन परम पुनीत तुम्हारे।।"
हे प्रभु हम क्षत्रिय हैं हमारे पास एक ही गुण
अर्थात धनुष ही है आप ब्राह्मण हैं आप में
परम पवित्र 9 गुण है-
ब्राह्मण_के_नौ_गुण :-
रिजुः तपस्वी सन्तोषी क्षमाशीलो जितेन्द्रियः।
दाता शूरो दयालुश्च ब्राह्मणो नवभिर्गुणैः।।
● रिजुः = सरल हो,
● तपस्वी = तप करनेवाला हो,
● संतोषी= मेहनत की कमाई पर सन्तुष्ट,
रहनेवाला हो,
● क्षमाशीलो = क्षमा करनेवाला हो,
● जितेन्द्रियः = इन्द्रियों को वश में
रखनेवाला हो,
● दाता= दान करनेवाला हो,
● शूर = बहादुर हो,
● दयालुश्च= सब पर दया करनेवाला हो,
● ब्रह्मज्ञानी,
श्रीमद् भगवत गीता के 18वें अध्याय
के 42श्लोक में भी ब्राह्मण के 9 गुण
इस प्रकार बताए गये हैं-
" शमो दमस्तप: शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च।
ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्म कर्म स्वभावजम्।।"
अर्थात-मन का निग्रह करना ,इंद्रियों को वश
में करना,तप( धर्म पालन के लिए कष्ट सहना),
शौच(बाहर भीतर से शुद्ध रहना),क्षमा(दूसरों के
अपराध को क्षमा करना),आर्जवम्( शरीर,मन
आदि में सरलता रखना,वेद शास्त्र आदि का
ज्ञान होना,यज्ञ विधि को अनुभव में लाना
और परमात्मा वेद आदि में आस्तिक भाव
रखना यह सब ब्राह्मणों के स्वभाविक कर्म हैं।
पूर्व श्लोक में "स्वभावप्रभवैर्गुणै:
"कहा इसलिएस्वभावत कर्म बताया है।
स्वभाव बनने में जन्म मुख्य है।फिर जन्म के
बाद संग मुख्य है।संग स्वाध्याय,अभ्यास आदि
के कारण स्वभाव में कर्म गुण बन जाता है।
दैवाधीनं जगत सर्वं , मन्त्रा धीनाश्च देवता:।
ते मंत्रा: ब्राह्मणा धीना: , तस्माद् ब्राह्मण देवता:।।
धिग्बलं क्षत्रिय बलं,ब्रह्म तेजो बलम बलम्।
एकेन ब्रह्म दण्डेन,सर्व शस्त्राणि हतानि च।।
इस श्लोक में भी गुण से हारे हैं त्याग तपस्या
गायत्री सन्ध्या के बल से और आज लोग उसी
को त्यागते जा रहे हैं,और पुजवाने का भाव
जबरजस्ती रखे हुए हैं।
*विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या।
*वेदा: शाखा धर्मकर्माणि पत्रम् l।*
*तस्मान्मूलं यत्नतो रक्षणीयं।
*छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम् ll*
भावार्थ -- वेदों का ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण
एक ऐसे वृक्ष के समान हैं जिसका मूल(जड़)
दिन के तीन विभागों प्रातः,मध्याह्न और सायं
सन्ध्याकाल के समय यह तीन सन्ध्या(गायत्री
मन्त्र का जप) करना है,चारों वेद उसकी
शाखायें हैं,तथा वैदिक धर्म के आचार
विचार का पालन करना उसके पत्तों के
समान हैं।
अतः प्रत्येक ब्राह्मण का यह कर्तव्य है कि,,
इस सन्ध्या रूपी मूल की यत्नपूर्वक रक्षा करें,
क्योंकि यदि मूल ही नष्ट हो जायेगा तो न तो
शाखायें बचेंगी और न पत्ते ही बचेंगे।।
पुराणों में कहा गया है ---
विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता।
जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वहाँ
देवता भी निवास करते हैं।
अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय
भी शून्य हो जाते हैं।
इसलिए .......
ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः।।
श्री कृष्ण ने कहा-ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी हो,
तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए।
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा
वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है।
ब्राह्मणोस्य मुखमासिद्......
वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान
के मुख में निवास करते हैं।
इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही
शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है कि,
विप्र प्रसादात् धरणी धरोहमम्।
विप्र प्रसादात् कमला वरोहम।
विप्र प्रसादात् अजिता जितोहम्।
विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।
ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने
धरती को धारण कर रखा है।
अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष
कैसे उठा सकता है,इन्ही के आशीर्वाद
से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान
में प्राप्त किया है,इन्ही के आशीर्वाद से मैं
हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के
आशीर्वाद से ही मेरा नाम राम अमर हुआ है,
अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है।
और ब्राह्मणों काअपमान ही कलियुग
में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है।
प्रश्न नहीं स्वाध्याय करें।।
जय सनातन
जय ब्रह्मण
गुरुवार, 5 सितंबर 2024
चौठचन्द्र चौरचन पूजा के संपूर्ण पाठ
चौठचन्द्र चौरचन पूजा के संपूर्ण पाठ
06-09-2024
भादव शुक्ल चतुर्थी पहिल साँझ व्रती स्नान कऽ आसन पर बैसि पूजाक सब सामग्री अरिपन अनुसार दही डाली मररक खीरपूरी दीप संग कलशसथापन कय कुशक वा सोना चांदी पवित्री पहिर तेकुशा जल लय इ मंत्र पढि सामग्री संग जल छिटी स्वयं पवित्र होई छथि-
अक्षत लय -- नमो गणपत्यादि पंचदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत।कहि पात पर एककात राखि दी।
अर्घा में जल लय - एतानि पाद्यादीनि एषोर्घ: नमो गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
फूल में चानन लगाके - इदमनुलेपनं गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नमः ।
अक्षत लय -इदमक्षतं गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
फूल लय -इदं पूष्प गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
बेलपात लय -इदं विल्वपत्रं गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
दूबि लय -इदं दुर्वादलम् गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
जल लय -एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बुलयथाभाग नानाविध नैवेद्यानि गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।नैवेद्य पर।
जल लय -इदमाचीनीयं नमो गणपत्यादि पंचदेवता भ्यो नम:।
विधवा स्त्री तील लय - -- नमो भगवत् भगवान श्री विष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ। पूजा के बगल में पात पर राखू।
जल लय-एतानि पाद्यादीनि एषोर्घ: नमोभगवते श्रीविष्णवे नम:।पूजा पात पर चढादी। अहिना फूल तुलसीपात आदि सौं पंचोपचार पूजा करी।
सधवा स्त्री गौरी पूजा करथि-
अक्षत लय -नमो गौरि इहागच्छ इह तिष्ठ।
जल लय -एतानि पाद्यादीनि नमो गौर्ये नम:।
चानन लय -इदमनुलेपनं नमो गौर्ये नम:।
सिंदुर लय -इदं सिन्दूरमनमो गौर्ये नम:।
अक्षत लय -इदमक्षतं नमो गौर्ये नम:।
फूल लय -इदं पुष्पं नमो गौर्ये नम:।
दुबि लय - इदं दुर्वादलम नमो गौर्ये नम:।
बेलपात लय - इदं विल्वपत्रं नमो गौर्ये नम:।
जल लय -एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बुलयथायदिभाग नानाविध नैवेद्यानि नमो गौर्ये नम:।नैवेद्य पर उत्सर्ग करी।
जल लय -इदमाचीनीयं नमो गौर्ये नम:।
चौठचन्द्र पूजा - अक्षत लिय-नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्र इहागच्छ इह तिष्ठ।पात पर राखू।
उजर फूल लिय - श्वेतांबरं स्वच्छतनुं सुधांशु चतुर्भुजं हेमविभूषणाढ्यम्।वरं सुधा दिव्यकमण्डलुञ्च करैरभीतिञ्च दधानभीडे।।एष पपुष्पाञ्जलि।
जलक अर्घ्यदान -सोमाय सोमेश्वराय सोमपतये सोमसम्भवाय गोविन्दाय नमो नम:।
एतानि पाद्यादीनि एषोऽर्घ्य: नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम:।
चानन लय -मलयाद्रिसमुद्भूतं श्रीखंडं त्रिदशाप्रियम्। सर्वपापहरं सौख्यं चंदनं मे प्रगृह्यताम्।
चानन लय - इदमनुलेपनं नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम:।
अक्षत लय -इदमक्षतं नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम:।
उजर फूल लय - त्रैलोक्यमोदकं पुष्पं शुक्ल पुष्पं मनोहरम्।दिव्यौषधि क्षपानाथ गृह्यतां च प्रसीद मे।एतानि पुष्पाणि नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
बेलपात लय -इदं विल्वपत्रं नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नमः।
दुबि लिय -इदं दुर्वादलम नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नमः।
यज्ञोपवित लय - सुसंस्कृतं चतुर्वेदैर्द्विजानां भूषणं वरम्।यज्ञोपवितंदेवेश कृपया मे प्रगृह्यताम्।इमे यज्ञोपविते वृहस्पतिदैवते नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
वस्त्र लय - तन्तुसन्तानसम्भूतं कलाकोशलकल्पितम्। सर्वाङ्गभूषणश्रेष्ठं वसनं परिधीयताम्।।इदं वस्त्रं वृहस्पतिदैवतं नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
नैवेद्य - नैवेद्यं गृह्यतां देव भर्क्ति मे ह्यचलां कुरू।ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परांङ्गतिम।।
एतानि गंधपुष्प धूपदीपसदधिपक्वान्नादि नानाविध नैवेद्यानि नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
पुंगीफल --- पूंगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्। कर्पूरादिसमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्।।एतानि ताम्बूलानि।
धूप- --- गन्धभारवहं दिव्यं नानावस्तुसमनवितम्। सुरासुरनरानन्दं धूपं देव गृहाण मे।। एष धूप: नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
कलशदीपदानम - मार्तण्डमण्डलाखण्डचन्द्रबिम्बाग्निदीप्तिमान्। विधात्रा देवदीपोऽयं निर्मितस्तेऽस्तु भक्तित:। एष कलशदीप: नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
शंख में फल फूल दूध लय - अत्रिनेत्रसमुद्भूत क्षीरोदार्णवसंभव।गृहामार्घ्य मया दत्तं रोहिण्या सहितप्रभो ।इदं दुग्धार्घ्यं नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्राय नम :।
डाली लय चंद्र दर्शन मंत्र----
सिंह प्रसेन मवधीत्सिंहो जाम्बवताहत :!
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक :!
प्रणाम मंत्र-
नम: शुभ्रांशवे तुभ्यं द्विजराजाय ते नम ।
रोहिणीपतये तुभ्यं लक्ष्मीभ्रात्रे नमोऽस्तु ते । ।
दही छाँछी लय प्रणाम मंत्र -
दिव्यशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्!
नमामि शशिनं भक्त्या शंभोर्मुकुट भूषणम्! !
प्रार्थना मंत्र -
मृगाङ्क रोहिणीनाथ शम्भो : शिरसि भूषण ।
व्रतं संपूर्णतां यातु सौभाग्यं च प्रयच्छ मे । ।
रुपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवन् देहि मे।
पुत्रोन्देहि धनन्देहि सर्वान् कामान् प्रदेहि मे।।
तदुपरांत स्यमन्तक मणी जाम्बवान पुत्र सुकुमार पर आधारित कथा ध्यान मग्न भय सुनि।जहिना पूजा केलहुं ओहि क्रम में बेराबेरी विसर्जन करी
विसर्जन मंत्र-
jal lake - नमो गणपत्यादि पंचदेवता: पूजिता: स्थ क्षमध्वं स्वस्थानं गच्छत।
विधवा - नमो विष्णो पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्व।
सधवा - नमो गौरि पूजितासि प्रसीद क्षमस्व।
नमो रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्र पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ।
दक्षिणा द्रव्य जल से सिक्त कय तील जल लय मंत्र-
नमोऽस्यां रात्रौ कृतेतद्रोहिणीसहित भाद्र शुक्ल चतुर्थी चंद्र पूजन तत्कथा श्रवण कर्म प्रतिष्ठार्थमेतावद्द्रव्य मूल्यकहिरण्यमग्निदैवतं यथानाम गोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे।कुश तील जल द्रव्य पर अर्पण कय। दक्षिणा प्रतिपन्न करी ओ स्वाच्छन्न देता।
क्षमायाचना -- सपरिवार कलजोरी- हे चतुर्थी चंद्र हम त आहां के बच्चा छी यथासाध्य नैवेद्य फुल पान लय आहांक पुजा कयल कोनो त्रुटि लेल क्षमा करब।
तदुपरांत मड़ड उत्सर्ग कय भांगि आ प्रसाद वितरण करी।
पंडित भेट जाईथ त सर्वोत्तम नै त पिता/पती/पुत्र/भाई/कुटंब/संवंधी से उपरोक्त विधि से पुजन कर
पं.राजीव झा
बुधवार, 14 अगस्त 2024
गलत तो आप और हम हैं । बस समझ-समझ का फेर है
कांग्रेस को क्यों गाली देते हो मित्रों.? गलत तो आप और हम हैं । बस समझ-समझ का फेर है ।
लाल बहादुर शास्त्री जी की हत्या के बाद भी कांग्रेस को सत्ता में लाया कौन था.?
हम
5000 संतो को संसद के गलियारे में गोलियों से भूनने के बाद भी इंदिरा गांधी को सत्ता किसने दी थी.?
हमने
चीन से ज्यादा सैन्य शक्ति से संपन्न होते हुए भी 1962 में अपनी लाखो हेक्टेयर जमीन चीन को लुटा देने वाली कायर कांग्रेस को सराखों पर बिठाया था किसने.?
हमने
हिन्दुओं की चुन-चुन कर नसबंदी करने वाली और मुस्लिम को अल्लाह की देन पर बच्चे पैदा करने वाली कांग्रेस को वोट देकर राज किसने करने दिया था.?
हमने
आपातकाल लगा कर जयप्रकाश नारायण जैसे लोकप्रिय जननायक को कुचलने की मुहिम चलाने वाली तानाशाह इंदिरा गांधी को कुर्सी किसने दी थी.?
हमने
भोपाल कांड में हजारों लोगों को तड़पा तड़पा कर मारने वाले एंडरसन को भगाने वाली *Rajiv Feroz Khan Gandhi* कांग्रेस को अपना माई बाप बताया किसने.?
हमने
देश की जनता के टैक्स के पैसे को बोफोर्स की दलाली में खाने वालों को गद्दी किसने दी.?
हमने
देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमान का है, फिर भी सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
प्रभु श्री राम जी को काल्पनिक कहने वाले को सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
सनातन को जड़ से उखाड़ कर फेंक देना ही मकसद हो फिर भी सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
जिसने पार्टी ने देश के टुकड़े-टुकड़े कर दिए ऐसी पार्टी को थोङे से फ्री पाने के चक्कर में सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
जिस पार्टी ने पूरे देश में इमरजेंसी लगाकर संविधान का गला घोंटा उसको सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
जिस पार्टी ने हिन्दुओं का वोट लेकर हिन्दुओं को ही समाप्त करने का लगातार कारनामा किया हुआ है फिर भी ऐसी पार्टी को सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
आज भी वेद-पुराणों को अपशब्द कह रहे हैं और फिर भी उन्हें सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
फूट डालो और राज करो के नारे लगा कर हिन्दुओं को जाता-पात में बांटकर छोड़ने वाले को सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को बेगर शर्त छोड़ा गया और अपनी देश के सेना को कोई खबर आज भी नहीं है जिन्दा है या मर गया ऐसे पार्टी को सपोर्ट करने वाले कौन.?
हम
क्वात्रोची को खरबपति बना कर देश के सोने को गिरवी रखने की जिम्मेदार कांग्रेस के पीछे कुत्ते की तरह टुकड़े की आस में कौन जीभ लटका कर घूमता रहा.?
हम
हर्षद मेहता के सूटकेसों से प्रधानमंत्री आवास को कलंकित करने वाली कांग्रेस को और शिबू सोरेन जैसे सत्ता के दलालों को खरीदने के आरोपों में एक प्रधानमंत्री को अदालत के कटघरे में खड़े होने वाली कांग्रेस के इशारे पर बाजपेई जी की सरकार गिराने वालो को संसद में बिठाया किसने था.?
हमने
बाजपेई जैसे कर्मठ, सत्यनिष्ठ जननायक को हटाकर इस सत्ता की भूखी विदेशी औरत को देश की मालकिन बनाया था किसने.?
हमनें
2G, कोयला, दामाद राबर्ट बडेरा, बाबा रामदेव कांड, अन्ना हजारे आंदोलन जैसे एपिसोड्स को 5 सालो में ही भुलाकर आज तक के सर्वकालीन *अयोग्य राहुल गांधी को* अपना जननायक मान कर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में देश के मुंह पर कालिख किसने पोती.?
हमने
और इतना ही क्यूं .....
कल्याण सिंह को हटाकर राम भक्तों को गोलियों से भूनने वाले मुलायम को सत्ता किसने दी थी.?
हमने
*तिलक, तराजू और तलवार* ... *इनको मारो जूते चार* ... कह कर तुम्हारे पिछवाड़े लाल करने वाली को सत्ता के शिखर पर पहुंचाया किसने.?
हमने
लालू तुम्हारे भूखे पेट को रौंद कर खुद खरबपति बन बैठा, गिरफ्तारी देने भी हाथी पर बैठ कर गया .....
और हम गाजे बाजे के साथ नाचते रहे ... पूरे बिहार में उसे, अपनी अनपढ़ पत्नी के सिवाय कोई योग्य बिहार में नहीं मिला जिसको मुख्य मंत्री बनवा देता पर फिर भी उसको अपना भाग्य विधाता मानता रहा कौन.?
हम
हिन्दुओं का त्योहार दुर्गा पूजा करने तक का अधिकार छिनने वाली,
तारकेश्वर के महाशिव मन्दिर का चेयरमैन एक मुस्लिम को बनाने वाली, हिन्दू विरोधी, इस्लाम परस्त, भारत विरोधी ममता बनर्जी के पीछे पीछे कुत्तों की तरह झंडा उठा कर चलता है कौन.?
हम
कर्नाटक में सरे आम गाय काट कर खाने वालों को वोट देकर सत्तासीन किया किसने.?
हमने
हजारों सिक्खों को मौत के घाट उतारने वाली कांग्रेस का चमचा कौन बना.? सिद्धू और मनमोहन सिंह जैसे रीढ़विहीन अपने ही लोगों की हत्यारी कांग्रेस को अपना मालिक किसने बनाया भाई.?
हमने
देश की सेना को श्रीलंका में भेजकर अपने ही भारत के भाईयों को मरवाने वाली कांग्रेस की तलवे चटाई कौन करता रहा.?
हम
कश्मीर से हिन्दुओं को बेदखल कर हमको अपने ही देश में शरणार्थी बनाने वाली कांग्रेस को सत्ता में बार-बार कौन बिठाता रहा.?
हम
सोनिया गांधी के 10 साल के कुशासन में एक एक करके सैकड़ों मिग लड़ाकू विमान रहस्यमय तरीके से क्रैश होते गए,
फोर्स के पायलट मरते गए,
पर *पैसे का रोना रोकर एक भी नया लड़ाकू विमान नहीं खरीदा गया ऐसा क्यों.?*
*देश की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों.?*
वहीं दूसरी ओर गठबंधन की मजबूरी का हवाला देकर लाखों करोड़ लुटाए जाते रहे .....
और फिर भी राफेल राफेल चिल्लाने वाले नेताओं की बातों में सुगंध की अनुभूति होती है किसे.?
हमें
तो इसलिए आज के बाद कांग्रेस को गाली मत दो, लालू, मुलायम, केजरीवाल और ममता को मत कोसों ..
*गलत सिर्फ हम हैं...*
*खुद का मूल्यांकन करों, खुद को नजर भर कर देखों* ।
पार्टी के गुलाम नहीं, *देश का सेवक बनें।
*यह मैसेज बार बार जाना चाहिए उन मरे जमीर वाले रीढ विहीन, लालची हिन्दुओं मे जो कांग्रेस को अब भी सही मानते हैं*।